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४, २, ४, ९६.] वेयणमहाहिगारे वेयणदयविहाणे सामित्त [ ३१७ ट्ठिदीणं णिसेयस्स उक्कस्सपदे ॥८४ ॥ बहुसो बहुसो जहण्णाणि जोगट्ठाणाणि गच्छदि ॥८५॥ बहुसो बहुसो मंदसंकिलेसपरिणामो भवदि ॥ ८६ ॥ एवं संसरिदूण बादरपुढविजीवपज्जत्तएसु उववण्णो ॥ ८७॥ अंतोमुहुत्तेण सबलहुँ सव्वाहि पज्जत्तीहि पज्जत्तयदो ॥ ८८ ॥ अंतोमुहुत्तेण कालगदसमाणो पुवकोडाउएसु मणुस्सेसु उववण्णो ॥ ८९ ॥ सबलहुं जोणिणिक्खमणजम्मणेण जादो अट्ठवस्तीओ ॥९० ॥ संजमं पडिवण्णो ॥९१॥ तत्थ य भवट्टिदिं पुवकोडिं देसूणं संजममणुपालइत्ता थोवावसेसे जीविदव्वए त्ति मिच्छत्तं गदो ॥ ९२ ॥ सबथोवाए मिच्छत्तस्स असंजमद्धाए अच्छिदो ॥ ९३ ॥ मिच्छत्तेग कालगदैसमाणो दसवाससहस्ताउद्विदिएसु देवेसु उववण्णो ॥१४॥ अंतोमुहुत्तेण सबलहुं सव्वाहि पज्जत्तीहि पज्जत्तयदो ॥ ९५॥ अंतोमुहुत्तेण सम्मत्तं पडिवण्णो ॥ ९६ ॥ तत्थ य
पद होता है ।। ८४ ॥ बहुत बहुत बार जघन्य योगस्थानोंको प्राप्त होता है ॥ ८५ ॥ बहुत बहुत बार मन्द संक्लेश परिणामोंसे संयुक्त होता है ॥ ८६ ॥ इस प्रकार संसरण करके बादर पृथिवीकायिक पर्याप्त जीवोंमें उत्पन्न हुआ ॥ ८७ ॥ अन्तर्मुहूर्त काल द्वारा सर्वलघु कालमें सब पर्याप्तियोंसे पर्याप्त हुआ ॥ ८८ ॥ अन्तर्मुहूर्तमें मृत्युको प्राप्त होकर पूर्वकोटि आयुवाले मनुष्योंमें उत्पन्न हुआ ॥ ८९ ॥ सर्वलघु कालमें योनिनिष्क्रमण रूप जन्मसे उत्पन्न होकर आठ वर्षका हुआ ॥ ९० ॥ संयमको प्राप्त हुआ ॥ ९१ ॥ वहां कुछ कम पूर्वकोटि मात्र भवस्थिति तक संयमका पालन कर जीवितके थोड़ा शेष रहनेपर मिथ्यात्वको प्राप्त हुआ ॥ ९२ ॥ मिथ्यात्व सम्बन्धी सबसे थोड़े असंयमकालमें रहा ।। ९३ ॥ मिथ्यात्वके साथ मृत्युको प्राप्त होकर दस हजार वर्षकी आयुवाले देवोंमें उत्पन्न हुआ ॥ ९४ ।। अन्तर्मुहूर्त द्वारा सर्वलघु कालमें सब पर्याप्तियोंसे पर्याप्त हुआ ।। ९५ ॥ अन्तर्मुहूर्तमें सम्यक्त्वको प्राप्त हुआ ॥ ९६ ॥ वहां कुछ कम दस हजार वर्ष प्रमाण
१ अ-आ-काप्रतिषु — कालेण गदः' इति पाठः ।
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