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४, २, १, ३. ]
daणमहाहियारे वेयणणिक्खेबो
सा वेणा एस त्ति अभेएण अज्झवसियत्थो ट्ठवणा । सा दुविहा सब्भावासम्भाववणभए । तत्थ पाएण अणुहरंतदव्वभेदेण इच्छिददव्वट्टवणा सम्भावट्ठवर्णवेयणा, अण्णा असब्भावट्ठवणवेयणा ।
Goddaणा दुविहा आगम-णोआगमदव्ववेयणाभेएण aruपाहुजाणओ अणुवजुत्तो आगमदव्ववेयणा । जाणुगसरीर-भविय तव्वदिरित्तभेण णोआगमदव्ववेयणा तिविहा । तत्थ जाणुगसरीरं भविय वट्टमाण - समुज्झादभेदेण तिविहं । वेयणाणियोगद्दारस्स अणागमस्स उवायाणकारणत्तणेण भविस्सरूवेण सहियो जेण आगम भवियदव्ववेयणा | तव्वदिरित्तणोआगमदव्ववेयणा कम्म-णोकम्मभेएण दुविहा 1 तत्थ कम्मवेयणा णाणावरणादिभेएण अट्ठविहा | णोकम्मण आगमदव्ववेयणा सचित्त-अचित्त-मिस्सयमेएण तिविहा । तत्थ सचित्तदव्ववेयणा सिद्धजीवदव्वं । अचित्तदव्ववेयणा पोग्गल-कालागास-धम्माधम्मदव्वाणि । मिस्सदव्ववेयणा संसारिजीवदव्वं, कम्म- णोकम्मजीवसमवायस्स जीवाजीवेहिंतो पुधभावदंसणादो |
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वह वेदना यह है ' इस प्रकार अभेद रूपसे जो अन्य पदार्थमें वेदना रूपसे अध्यवसाय होता है वह स्थापनावेदना है । वह सद्भावस्थापना और असद्भावस्थापनाके भेदसे दो प्रकारकी है। उनमेंसे जो द्रव्यका भेद प्रायः वेदनाके समान है उसमें इच्छित द्रव्य अर्थात् वेदनाद्रव्यकी स्थापना करना सद्भावस्थापनवेदना है और उससे मिन असद्भावस्थापनवेदना है ।
द्रव्यवेदना दो प्रकारकी है- आगम-द्रव्यवेदना और नोआगम-द्रव्यवेदना । जो वेदनाप्राभृतका जानकार है किन्तु उपयोग रहित है वह आगम-द्रव्यवेदना है। नोआगमद्रव्यवेदना ज्ञायकशरीर, भव्य और तद्व्यतिरिक्तके भेदसे तीन प्रकारकी है । उनमें से शायकशरीर यह भावी, वर्तमान और त्यक्तके भेद से तीन प्रकारका है । जो वेदनानुयोगद्वारका अजानकार है, किन्तु भविष्य में उसका उपादान कारण होगा; वह भावी नोआगमद्रव्यवेदना है । तद्व्यतिरिक्त नोआगम-द्रव्यवेदना कर्म और नोकर्मके भेद से दो प्रकारकी है । उनमेंसे कर्मवेदना ज्ञानावरण आदि के भेद से आठ प्रकारकी है, तथा नोकर्म-नोआगमद्रव्यवेदना सचित्त, अचित्त और मिश्रके भेदसे तीन प्रकार की है। उनमें से सचित्त द्रव्यवेदना सिद्ध-जीव द्रव्य है । अचित्त द्रव्यवेदना पुद्गल, काल, आकाश, धर्म और अधर्म द्रव्य हैं । मिश्र द्रव्यवेदना संसारी जीव द्रव्य है, क्योंकि, कर्म और नोकर्मका जीवके साथ हुआ सम्बन्ध जीव और अजीवसे भिन्न रूपसे देखा जाता है ।
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