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छक्खंडागमे वेयणाखंड पाउमंसि परभक्यि' आयुगं णिबंधता बंधति । तत्थ जे ते संखेज्जबासाउआ ते दुविहा पण्णता सोक्क्कमाउआ णिरुवक्कमाउआ चेव । तत्थ जे ते णिरुवक्कमाउआ ते तिमामाबसेसियंसि याउगंसि परभवियं आयुगं कम्मं णिबंधता बंधति । तत्थ जे ते सोवक्कमाउआ ते सिया तिभागत्तिभागावसेसियंसि यायुगंसि परभवियं आउगं कम्मं निधता पंधति"। एदेण वियाहपण्णत्तिसुसेण सह कुछ ण विरोह। १ ण, एदम्हादो तस्स पुधभूदस्स . भाइरियभेएण भेदमावण्णस्स एयत्ताभावादो।)
बद्धपरभवियाउअस्स ओवट्टणाघामकादूण उप्पण्णमिदि जाणावणटुं पुव्वकोडाउछह मास शेष रहनेपर परमविक आयुको बांधते हुए बांधते हैं। और जो संख्यातवर्षापुरक जीव है वे दो प्रकारके कहे गये हैं- सोपक्रमायुष्क और निरूपक्रमायुष्क । उनमें जो निरूपक्रमायुष्क है वे आयुमें त्रिभाग शेष रहनेपर परभविक आयु कर्मको बांधते है। और जो सोपक्रमायुष्क जीव हैं वे कथंचित् त्रिभाग [कथंचित् त्रिभागका त्रिभाग और कथंचित् त्रिभाग-त्रिभागका त्रिभाग] शेष रहनेर परभव सम्बन्धी माथु कर्मको बांधते हैं"। इस व्याख्याशतिसूत्रके साथ कैसे विरोध न होगा?
समाधान-नहीं, क्योंकि, इस सूत्रसे उक्त सूत्र भिन्न आचार्य के द्वारा बनाया इमारोनेके कारण पृथक् है, अतः उससे इसका मिलान नहीं हो सकता।
___बांधी हुई परमविक आयुका अपवर्तनाघात न करके उत्पन्न हुआ, इस बातका बाम करानेके लिये 'पूर्वकोटि आयुवालोंमें उत्पन्न हुआ' ऐसा कहा है। ................
१ भाप्रती ' - सियायुगंसियामवियं ', ताप्रती 'सियायुगं सिया परभवियं' इति पाठः | २ तातो -सिया. मग सिया परभवियं' इति पाठः । ३ प्रति 'तिमागत्तमागाव-' इति पाठः । ४ पुष्वकोरितिभागादो आवाधा आहिया किषण होदि ? उच्चदे - ण ताव देव-णेरइएस बहुसागरोवमाउद्विदिएम पुवकोनितिमागादो अधिया आवामा अस्थि, सिं छम्मासावसेसे भुजमाणाउए असंखेपद्धापजनसाणे संते परमवियमाउअं बंधमाणाणं तदसंभवा । गतिरिक्ख-मणुस्से विदो अहिया आवाधा अस्थि, तत्थ पुब्बकोहीदो अहियमवहिदीए अभावा । असंखेउजवसाऊ तिरिक्ख-मसा अस्थि तिचे ण, तेसिं देव-णेरझ्याणं व भुजमाणाठए छम्मासादो अहिए संते परमविआउअस्स बंधामावा । प.सं. पु. ६, पृ. ११९. तार्ह असंख्यातवर्षायुष्काणं त्रिभागे उत्कृष्टा कथं नोक्ता इति ? तन्न, देव. नाराणी स्वस्थिती षण्मासेसु मोगभूमिजानां नवमासेषु च अवशिष्टेषु त्रिभागेन आयुर्वन्धसम्भवात् । यमष्टापकर क्वचिनार्यबद्धं तदावस्यंसख्येयभागमात्राया समयोनमुहर्तमात्राया वा असंक्षेपाद्धायाः प्रागेवोत्तरभवायुस्न्तमुहते. माणसमयबद्वान् बच्चा निष्ठापयति । एतौ द्वावपि पक्षो प्रवायोपदेशत्वात् अंगीकृतौ। गो. क. (जी. प्र.) १५८.
नेरझ्या गंभंते ! कतिभागावसेसाउया परमवियाउयं पकरेंति ? गोयमा! नियमा सम्मासावसेसाउया परमवियाउछ । एवं असुरकुमारा वि, एवं जान थणिय कमारा । पुरविकाइया णं भंते ! xxx x | पंचिंदियतिरिक्वजोणिया नमंते ! कतिमागावसेसाउया परमवियाउयं पकरेंति ? गोयमा ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया दुबिहा पनत्ता। तं महा-संवेज्जवासाउया य असंखेज्जवासाउया य । तत्यं णं जे ते असंखेज्जवासाउया ते नियमा सम्मासावसेसाव्या परमदियाउयं परेंति। तत्थ णं जेते संखिज्जवासाउया ते दुविहा पन्नता। तं जहा- सोवक्कमाउया य निरुवक्कमाउवा या सत्य णजे ते निरुवक्कमाउया ते नियमा तिभागावसे साउया परमनिया उयं पकरेंति । तत्थ जे जे ते सोबराममाश्या तेजसिय तिमागे परमनिया उयं पकरेंति, सिय तिमागतिमागे परमवियाउयं पकरति, सिय तिमाग-तिमागसिमागासेसाज्या परमपियाउ परेंति । एवं मसावि बागमतर-मोसिप-माणिया जहा मेरदया। प्रशापना .. ..... ११५-१७
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