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छक्खंडागमै वैयणाखंड (४, २, ४, ३३. सामियाणं लक्खणे परूविदे तेसिं दोणं पदेसट्ठाणाणं विच्चाले' वट्टमाणसेसट्ठाणसामियाणं पि लक्खणस्स तत्तो चेव सिद्धीदो । तं जहा- जहण्णहाणप्पहुडिएगसमयपबद्धमेत्तट्ठाणाणं जे सामिणा तेसिं जीवाणं खविदकम्मंसियलक्खणमेव लक्खणं होदि । समाणलक्खणाणं कधं दव्वभेदो ? ण, छावासएहि परिसुद्धाणं पि ओकड्डक्कड्डणवसेण पदेसट्ठाणभेदसंभवं पडि विरोहाभावादो । उक्कस्सट्ठाणादो वि हेट्ठिमाणं समयपबद्धमत्तट्ठाणाणं जे सामिणो तेसिं गुणिदकम्मंसियलक्खणमेव लक्खणं हेदि, छावासएहि भेदाभावादो । अवसेसाणं ट्ठाणागं जे सामिणो तेसिं जीवाणं लक्खणं खविद-गुणिदलक्खणसंजोगो । सो च एगादिसंजोगजणिदबासहिविहो । तदा खविद-गुणिदकम्मंसियलक्खणेहितो जच्चंतरीभूदमजहण्णमणुक्कस्सट्ठाणाहारजीवाणं ण लक्खणमत्थि त्ति । तेण तेसिं पुध ण लक्खणपरूवणा कीरदि त्ति सिद्धं ।
एत्थ तसजीवपाओग्गपदेसट्ठाणसुं जीवा पदरस्स असंखेज्जदिभागमेता । एइंदिय
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समाधान- यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि, जघन्य और उत्कृष्ट प्रदेशस्थाने के स्वामियोंके लक्षणकी प्ररूपणा करने पर उन दो प्रदेशस्थानोंके अन्तरालमें रहने वाले शेष समस्त स्थानोंके स्वामियोंका भी लक्षण उसीसे ही सिद्ध है । यथा- जघन्य स्थानसे लेकर एक समयप्रबद्ध मात्र स्थानोंके जो स्वामी हैं उन जीवों का क्षपितकर्माशिक लक्षण ही लक्षण होता है।
शंका-समान लक्षणवालोंके द्रव्य का भेद कैसे सम्भव है ?
समाधान- नहीं, क्योंकि, छह आवासेसे परिशुद्ध जीवों के भी अपकर्षण और उत्कर्षणके वश प्रदेशस्थानोंके भेदोंकी सम्भावनामें कोई विरोध नहीं है।
उत्कृष्ट स्थानसे भी नीचके समयप्रबद्ध मात्र स्थानोंके जो स्वामी हैं उनका गुणितकौशिक लक्षण ही लक्षण होता है, क्योंकि, उनमें छह आवासों की अपेक्षा कोई भेद नहीं है । शेष स्थानोंके जो जीव स्वामी हैं उन जीवोंका लक्षण क्षपित और गुणित लक्षणों का संयोग है। वह भी एक आदिके संयोगसे उत्पन्न होकर बासठ प्रकारका है । इस कारण अजघन्य-अनुत्कृष्ट स्थानोंके आधारभूत जीवोंका क्षपितकौशिक और गुणितकर्माशिकके लक्षणोंसे भिन्न जातिका दूसरा कोई लक्षण नहीं है । इसलिये उनके लक्षणोंका पृथक् कथन नहीं करते है, यह सिद्ध होता है।
यहां प्रस जीवोंके योग्य प्रदेशस्थानोंमें जीव प्रतरके असंख्यातवें भाग प्रमाण
1 अप्रती 'पदेसहाणाणं जे सामिणो विच्चाले' इति पाठः । २ अ. कापसोः 'जरचंतरभूद. ' इति पाठः । ३ अप्रतो'.डाणहार ' इति पाठः । ४ ताप्रती नोपलभ्यते पदमिदम् । ५ ताप्रती -पाओगट्टाणे' इति पाठ ।
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