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१६८] छक्खंडागमे वेयणाखंड
[४, २, ४, ३२. चदुब्भागं पेक्खिदूण उवरिमविरलणअण्णोण्णब्भत्थरासीए असंखेज्जगुणहीणत्तादो । ३१५० एदेण समयपबद्धे भागे हिदे दुचरिमगुणहाणिचरिमणिसेगेण सह चरिमगुण| ५९ । हाणिदव्वमागच्छदि ११८ ।
पुणो कम्मद्विदिआदिसमयप्पहुडि दुसमयाहियगुणहाणिमेत्तद्धाणमुवरि चडिदूण बद्धसंचयस्स भागहारो वुच्चदे । तं जहा- धुवरासिदुभागं २५/ विरलेदण उवरिमपढमरूवधरिदं समखंडं करिय दिण्णे रूवं पडि दोदो गोवुच्छाओ | ९ | पावेंति । पुणो एत्थ दोगोवुच्छविसेसागमण8 बिदियविरलणाए हेट्ठा ख्वाहियगुणहाणि दुगुणं विरलिय बिदियविरलणाए एगरूवधारदं समखंडं करिय दिण्णे एक्केक्कस्स रुवस्स दोदो गोवुच्छविसेसा पावेंति । पुणो एत्थ एगेगरूवधरिदं घेतूण मज्झिमविरलणाए बिदियरूवधरिदप्पहुडि दादूण समकरणे कीरमाणे मज्झिमविरलणाए परिहीणरूवाणं पमाणं वुच्चदे । तं जहादुगुणरूवाहियगुणहाणिं सरूवं गंतूण जदि एगरूवपरिहाणी लब्भदि तो मज्झिमविरलणद्धाणम्हि केत्तियाणि परिहाणिरूवाणि लभामो त्ति | १९ १।२५। पमाणेण फलगुणिदिच्छामोवट्टिय लद्धं मज्झिमविरलणाए अवणिदे इच्छिद- १ भागहारो होदि भागकी अपेक्षा उपरिम विरलन रूप अन्योन्याभ्यस्त राशि "असंख्यातगुणी हीन है। ६१° इसका समयप्रबद्ध में भाग देनेपर द्विचरम गुणहानि सम्बन्धी चरम निषेकके साथ चरम गुणहानिका द्रव्य आता है ६३००:३५° = ११८।।
____ अब कर्मस्थितिके प्रथम समयसे लेकर दो समय अधिक गुणहानि मात्र स्थान आगे जाकर बांधे हुए द्रव्यके संचयका भागहार कहते हैं । यथा-ध्रुव राशिके द्वितीय भाग (२५ ) का विरलन करके उपरिम विरलनके प्रथम अंकके प्रति प्राप्त द्रव्यको समखण्ड करके देनेपर अधस्तन विरलनके प्रत्येक एकके प्रति दो दो गोपुच्छ प्राप्त होते हैं । फिर यहां दो गोपुच्छविशेषोंके लानेके लिये द्वितीय विरलनके नीचे एक अधिक गुणहानिके दूनका विरलन करके द्वितीय विरलनके एक अंकके प्रति प्राप्त द्रव्यको समखण्ड करके देनेपर एक एक अंकके प्रति दो दो गोपुच्छविशेष प्राप्त होते हैं । फिर यहां एक एक अंकके प्रति प्राप्त द्रव्यको ग्रहण कर मध्यम विरलनके द्वितीय आदि अंकके प्रति प्राप्त द्रव्यमें देकर समीकरण करने पर मध्यम विरलनमें कम हुए अंकोंका प्रमाण कहते हैं । यथा- एक अधिक गुणहानिके दुगुणे प्रमाणमें एक अंक और मिलानेपर जो [ (८+१) x २+ १ = १९ ] प्राप्त हो उतने स्थान जाकर यदि एक अंककी हानि पायी जाती है तो मध्यम विरलनके अध्वानमें कितने हीन अंक प्राप्त होंगे, इस प्रकार फल राशिसे गुणित इच्छा राशिको प्रमाण राशिसे अपवर्तित कर लब्धको मध्यम विरलनमेंसे कम कर देनेपर इच्छित भागहार होता है . २५४१:१९ = ३५ ७५% ७५ -२ = १ = १९।
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१ अ-काप्रत्योः 'परिहीणे', ताप्रतौ 'परिहीणं' इति पाठः।
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