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१, २, १, ३२.] वेयणमहाहियारे वैयणदव्वविहाणे सामित्त । १२५ मिसेगपमाणेण कदे एत्तियं होदि तेण सव्वदव्वे पढमणिसेगेण अवहिरिज्जमाणे दिवड्डगुणहाणिहाणंतरेण कालेण अवहिरिज्जदि त्ति वुत्तं ।
बिदियणिसेयपमाणेण सव्वदव्वं सादिरेया गड्ढगुणहाणीए अवहिरिज्जदि । तं जहापुव्वुत्तदिवड्डखेत्तम्मि एगगोवुच्छविसेसविक्खंभ-दिवड्वगुणहागिदीहरप्फालिं' तछेदूण अवगिदे रेसखे बिदियगोवुच्छविक्खंभ-दिवड्डगुणहादीहरं होदूण चेट्ठदि । संपधि अवणिदफालिं पयदगोवुच्छपमाणेण कीरमाणे एगं पि पयदगोवुच्छं ण होदि, गुणहाणिअद्धरूवूणमेत्तगोवुच्छविसेसाणमभावादो। तेणेदस्स विगलरूवनाधारं होदि । तस्स पमाणमाणिज्जदे । तं जहा - रूवूणणिसेगभागहारमेत्तगोवुच्छविसेसाणं जदि विरलणाए एगरूवपक्खेवो लब्भदि तो दिवड्डगुणहाणिमेत्तगोवुच्छविससाणं किं लभामो त्ति सरिसमवणिय रूवूणणिसेगभागहारेण दिवड्डगुणहाणीए ओवट्टिदाए एगरूवस्स सादिरेयतिण्णिचदुब्भागा आगच्छंति । ते दिवड्डगुणहाणीए पक्खिविय सव्वदव्वे भागे हिदे बिदियणिसेगे आगच्छदि । तेण सादिरेयदिवड्गुणहाणीए अवहिरिज्जदि त्ति सिद्धं ।
यतः प्रथम निषेकके प्रमाणसे करनेपर सब द्रव्य इतना होता है, अत एव सब द्रव्यको प्रथम निषेकसे अपहृत करनेपर डेढ़ गुणहानिस्थानान्तरकालसे अपहृत होता है, ऐसा कहा है।
द्वितीय निषेकके प्रमाणसे सब द्रव्य साधिक डेढ़ गुणहानि द्वारा अपहृत होता है। यथा- पूर्वोक्त डेढ़ गुणहानि क्षेत्रमेंसे एक गोपुच्छविशेष प्रमाण विस्तारवाली और डेढ़ गुणहानि प्रमाण दीर्घ फालि रूप क्षेत्रको छील कर अलग करनेपर शेष क्षेत्र द्वितीय गोपुच्छ मात्र विस्तारवाला व डेढ़ गुणहानि प्रमाण दीर्घ रह जाता है। अब अलग की हुई फालिको प्रकृत गोपुच्छ (द्वितीय निषेक) के प्रमाणसे करनेपर एक भी प्रकृत गोपुच्छ नहीं होता, क्योंकि, गुणहानिके आधेमेसे एक कम गोपुच्छविशेषोंका वहां अभाव है । इसलिये इसका विकल रूप आधार होता है । अब उसका प्रमाण लाते हैं । यथा- एक कम निषेकभागहार प्रमाण गोपुच्छविशेषोंका विरलन करनेपर यदि डेढ़ गुणहानिमें एक अंकका प्रक्षेप प्राप्त होता है तो डेढ़ गुणहानि मात्र गोपुच्छविशेषोंका विरलन करनेपर क्या प्राप्त होगा. इस प्रकार समान राशिका अपनयन कर एक कम निषेकभागहारका डेढ़ गुणहानिमें भाग देनेपर एक अंकका साधिक तीन बटे चार भाग आता है । उसे डेढ़ गुणहानिमें मिलाकर उसका सब द्रव्यमें भाग देनेपर द्वितीय निषेक आते हैं । इसीलिये द्वितीय निषेककी अपेक्षा सब द्रव्य साधिक डेढ़ गुणहानिसे अपहृत होता है, यह सिद्ध होता है।
१ प्रतिषु दीहरप्पाली', मप्रतौ 'दीहठप्पाली' इति पाठः।
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