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४, २, ४, २८.] वेयणमहाहियारे वेयणदव्वविहाणे सामित्तं
[७९ एदस्स अवणयणविहाणं वुच्चदे- जवमज्झस्स जदि एगरूवावणयणं लब्भदि तो चोद्दसुत्तरसदस्स किं परिहाणिं पेच्छामो त्ति पमाणेण फलगुणिदिच्छाए ओवट्टिदाए लद्धमेत्तिय होदि | ५ | । एदम्मि तिहि गुणहाणीहितो अवणिदे सेडीए असंखेज्जदिभागेणूणतिण्णिगुणहाणीओ होति । तासि पमाणमेदं । एदेण जवमज्झे गुणिदे बावीसुत्तरचोइससदमेत्तं संदिहीए सव्वदव्वं होदि १४२२||
अधवा जवमज्झादो हेट्ठिमणाणागुणहाणिसलागाणमण्णोण्णभत्थरसिमत्तजहण्णजोगट्ठाणजीवाणं जदि एगं जवमज्झपमाणं लब्भदि तो किंचूणदिवड्डगुणहाणिमेत्तजहण्णजोगट्ठाणजीवाणं किं लभामो ति सरिसमणिय जवमज्झट्ठिमअण्णाण्णब्भत्थरासिणा किंचूणदिवड्डम्मि भागे हिदे असंखेज्जाणि जवमज्झाणि आगच्छति । तेसिं संदिट्ठी | १६ || किंचूणुवरिम
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फिर भी यह स्थूल दृष्टिसे परिगणना है । सूक्ष्म दृष्टिसे विचार करनेपर ११४ संख्या कम होकर ११ से कुछ अधिक यवमध्य आते हैं।
__ अब इसकी हानिके विधानको कहते हैं - यवमध्य अर्थात् १२८ अंककी अपेक्षा यदि एक रूपकी हानि पायी जाती है तो एक सौ चौदह की अपेक्षा कितनी हानि होगी, इस प्रकार फल राशिसे गुणित इच्छा राशिमें प्रमाण राशिका भाग देनेपर लब्ध इतना १४ होता है | इसको तीन गुणहानियोंमेंसे कम करनेपर जगश्रेणिका असंख्यातनं भाग कम तीन गुणहानियां होती हैं । उनका प्रमाण यह है-११४ । इससे यवमध्यके गुणित करनेपर संदृष्टि में सब द्रव्य चौदहसौ बाईस होता है १४२२ । ।
उदाहरण- यवमध्यका प्रमाण १२८; गुणहानिका काल ४;
१२८ में १ की हानि होती है तो ११४ में कितनी हानि होगी, इस प्रकार त्रैराशिक करनेपर फलराशि १ को इच्छाराशि ११४ से गुणा करके उसमें प्रमाणराशि १२८ का भाग देनेपर १७ आते हैं । फिर इसे तीन गुणहानियोंके काल १२ मेंसे कम करने. पर ११ आते हैं और इसको यवमध्यके प्रमाण १२८ से गुणित करनेपर कुल योगस्थानके जीवोंका प्रमाण १४२२ आता है।
अथवा, यवमध्यसे अधस्तन नानागुणहानिशलाकाओंकी अन्योन्याभ्यस्त राशिका जितना प्रमाण है उतने जघन्य योगस्थानके जीवोंका यदि एक यवमध्य प्राप्त होता है तो कुछ कम डेढ़ गुणहानिका जितना प्रमाण है उतने जघन्य योगस्थानके जीवोंका क्या प्रमाण
प्ति होगा, इस प्रकार समान राशियोंका अपनयन करके यवमध्यकी अधस्तन अन्योन्याभ्यस्त राशिका कुछ कम डेढ़ गुणहानिमें भाग देनेपर असंख्यात यवमध्य आते हैं। उनकी संदृष्टि ११ है । कुछ कम उपरिम अन्योन्याभ्यस्त राशिका जितना प्रमाण
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