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________________ २०] छक्खंडागमे वैयणाखंड [४, १, २. ओगाहणा संखेज्जगुणा । पंचिंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । तीइंदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । चउरिंदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । बेइंदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेनगुणा । बादरवणप्फदिकाइयपत्तेयसरीरणिव्वत्तिअपञ्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । पंचिंदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । तीइंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । चउरिंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । बीइंदियणिव्यत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । बादरवणप्फदिकाइयपत्तेयसरीरणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । पंचिंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा । सुहुमादो सुहुमस्स ओगाहणगुणगारो आवलियाए असंखेज्जदिभागो । सुहमादो बादरस्स ओगाहणगुणगारो पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। बादरादो सुहुमस्स ओगाहणगुणगारो आवलियाए असंखेज्जदिभागो। बादरादो बादरस्स ओगाहणगुणगारो पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो । बादरादो बादरस्स ओगाहणगुणगारो संखेज्जसमया त्ति ।" जघन्य अवगाहना संख्यातगुणी है.। पंचेन्द्रिय निवृत्तिपर्याप्तकी जघन्य अवगाहना संख्यातगुणी है। त्रीन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है। चतुरिन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है। द्वीन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है। बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर निर्वृत्त्यपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है। पंचेन्द्रिय निवृत्त्यपर्याप्तकी उत्कृष्ट 3 संख्यातगुणी है। त्रीन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है। चतुरिन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है। द्वीन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है। बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर निर्वृत्तिपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है। पंचेन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तकी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है। __एक सूक्ष्म जीवसे दूसरे सूक्ष्म जीवकी अवगाहनाका गुणकार आवलीका असंख्यातवां भाग है । सूक्ष्मसे बादरकी अवगाहनाका गुणकार पल्योपमका असंख्यातवां भाग है। बादरसे सूक्ष्मकी अवगाहनाका गुणकार आवलीका असंख्यातवां भाग है। एक बादर जीवसे दूसरे बादर जीवकी अवगाहनाका गुणकार पल्योपमका. असंख्यातवां भाग है।[किन्तु द्वीन्द्रिय आदि निर्वृत्त्यपर्याप्त और उन्हींके पर्याप्तकोंमें ] बादरसे बादरकी अवगाहनाका गणकार संख्यात समय है।" १ वेदना क्षेत्रविधान सूत्र २९-९९ ( अ-प्रति पत्र ८९२-८९५). प. खं. पु. ४ पृ. ९४-९८. ति. प. पृ. ६१८-६४०. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001403
Book TitleShatkhandagama Pustak 09
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1949
Total Pages498
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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