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________________ कदिअणियोगदौरे करणकदिपरूवणा (३८५ दणकदी णाणाजीवं पडुच्च जहण्णण एगसमओ, उक्कस्सेण आवलियाए असंखेज्जदिभागो। एगजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण बेसमया । वेउव्वियसंघादण-परिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा। एगजीवं पड्डच्च जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण तेत्तीस सागरोवमाणि समऊणाणि । आहारसंघादणकदी णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ, उक्कस्सेण संखेज्जा समया । एगजीवं पडुच्च जहण्णुक्कस्सेण एगसमओ । परिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ उक्कस्सण अंतोमुहुत्तं । संघादण-परिसादणकदी गाणेगजीवं पडुच्च जहण्णुक्कस्सेण अंतोगुहुत्तं । तेजा-कम्मइयपरिसादणकदी णाणेगजीवं पडुच्च जहण्णुक्कस्सेण अंतोमुहुत्तं । संघादण-परिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा एगजीवं पडुच्च अणादिओ अपज्जवसिदो अणादिओ सपज्जवसिदो।। आदेसेण गदियाणुवादेण णिरयगदीए णेरइएसु वेउब्वियसंघादणकदी णाणाजीवं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ उक्कस्सेण आवलियाए असंखेज्जदिमागो । एगजीवं पडुच्च जहण्णुक्कस्सेण एगसमओ । संघादण-परिसादणकदी णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा। एगजीवं वैक्रियिकशरीरकी संघातनकृतिका नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे आवलीके असंख्यातवें भाग प्रमाण काल है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे दो समय काल है। वैक्रियिकशरीरकी संघातन-परिशातनकृतिक जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे एक समय कम तेतीस सागरोपम काल है । . आहारकशरीरकी संघातनकृतिका नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे संख्यात समय काल है । एक जीवकी अपेक्षा जघन्य व उत्कर्षसे एक समय काल है। आहारकशरीरकी परिशातनकृतिका नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त काल है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त काल है। आहारकशरीरकी संघातन-परिशातनकृतिका नाना व एक जीवकी अपेक्षा जघन्य व उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त काल है। तैजस व कार्मणशरीरकी पंरिशातनकृतिका नाना व एक जीवकी अपेक्षा जघन्य व उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त काल है । इनकी संघातन-पंरिशातनकृतिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल है । एक जीवकी अपेक्षा अनादि-अपर्यवसित और अनादि-सपर्यवसित काल है। आदेशकी अपेक्षा गतिमार्गणानुसार नरकगतिमें नारकियोंमें वैक्रियिकशरीरकी संघातनकृतिका नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्यसे एक समय और उत्कर्षसे आवलीके भसंख्यातवें भाग प्रमाण काल है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य व उत्कर्षसे एक समय काल है। चैक्रियिकशरीरकी संघातन-परिशातनकृतिका नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्व काल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001403
Book TitleShatkhandagama Pustak 09
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1949
Total Pages498
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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