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________________ " १९ छत्री १४१ १५२ शुद्धि-पत्र पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध १३४ १७-२१ है ॥ ४६ ॥ उसमें ये xxx है। उसमें xxx और सर्वत्र अल्पऔर अल्पबदुख बहुत्व ॥ ४५ ॥ १३५ ८ छत्ती रंडी छत्ती दण्डी, छत्री १३७ २ -चिदणिबंध -चिदअवयवणिबंध . ऐरावओ महरावओ ९ -नुगमः। नुगमः प्रमाणम् । २२ अनुगम कहलाता अनुगम अर्थात् प्रमाण कहलाता १४२ ९ युगपद्विभासम् युगपदवभासम् ३० xxx २ प्रतिषु 'युगपदविभासम् ' इति पाठः । ७ कठिनोष्म कठिनोष्ण २० ऊष्म उष्ण २० गायके समान गवय होता है! xxx १५५ ५ अनिसृत अनिःसृत १६१ ४ -भेदाय आध. भेदाचक्षुरादिविषयाच आय, १५ जब वर्ण, पद xxx स्कन्धसे जब बाद्य श्रुतविषयताको प्राप्त हुए अविनासंकेत युक्त भावी वर्ण, पद, वाक्य आदि भेदोंको धारण करनेवाले शब्दपरिणत पुद्गलस्कन्धसे और चक्षु आदिके विषयसे संकेत युक्त १३२ १६ तादात्यसे तादात्म्यसे २६७ ५ सभन्तमद्र समन्तभद्र २६८ ७ बुध्यवसितः बुधध्यवसितः २२ क्योंकि, इनकी क्योंकि, बन्धकारणत्वकी अपेक्षा इनकी १७५ ५ प्रथमलक्षण प्रथमक्षण ४ दैविध्ये दैविध्ये २ पर्यायार्थिनय पर्यायार्थिकनय , ३ पर्यार्थिक पर्यायार्थिक ४ इंदजः वंद्वजः ५ बंदज २० ५ पुन्वमिति पुन्वमिदि २८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001403
Book TitleShatkhandagama Pustak 09
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1949
Total Pages498
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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