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शुद्धि-पत्र पंक्ति अशुद्ध
शुद्ध २० क्षयोपशमका अभाव होनेसे क्षयोपशमका अभाष कारण हो
उसकी उत्पत्ति न हो ८ सत्तसय
अंगुट्ठपणादिसत्तसय. १९ होनेपर सात
होनेपर अंगुष्ठप्रसेनादि सात २ -मट्ठअंगाणि
-मट्ठ अंगाणि ५ य राहणिज्जा
यराहणिज्जा
१५ तियचोंके वात १६ शुक्र सत्व स्वभाव रूप, तथा २८ 'तिलयाणग.' इति पाठः ६ सायराणंतो ६ गमिणो
८ -स्सुप्पण्णा वेणाया ४ परिसी १८ ऐसी
८ वग्गम्मदे ,, तवाणं मण २३ ऋद्धिधारकों १ तप्ततपः । जोर्स
तिर्यंचोंके सत्त्व, स्वभाव, वात शुक्र, तथा 'तिलयाणंग-', मप्रतौ स्वीकृतपाठः सायरामंतो गामिणो ॥ २२॥ इदि -स्सुप्पण्णा पण्णा वेणया तवोबलेण परिसी तपके बल से ऐसी वगम्मदे तवाणं जिणाणं मण ऋद्धिधारक जिनोंको तप्ततपः। तप्तं तपो येषां ते तप्ततपसः । जोर्स सहियाणं तत्ततवाणं जिणाणं है। तप्त तप जिनके पाया जाता है वे तप्ततपवाले ऋषि हैं। जिनके सहित तप्ततपवाले जिनोंको जुदोयण बारसविहतउ घोरगुणबंभ अघोरगुणबंभ अघोरगुणब्रह्म
३ सहियाणं जिणाणं ११ है। जिनके
१३ सहित जिनोंको
जुदायण ९ बारसव्विहत्तउ ६ घोरबंभ ७ अघोरबंभ १९ अघोरब्रह्म
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९५
५ छच्चे
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