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________________ १०६] छक्खंडागमे वेयणाखंड [४, १, ४४. : ण, तेसिं पहाणत्ताभावादो । तं पि कुदो णव्वदे ? संखेवेण परूवणादो । एसो सव्वा वि मंगलदंडओ देसामासओ, णिमित्तादीणं सूचयत्तादो। तदो एत्थ मंगलस्सेव णिमित्तादीणं परूवणा कायव्वा । तं जहा- गंथावयारस्स सिस्सा णिमित्तं, वयणपउत्तीए परट्ठाए चेय दंसणादो । केण हेदुणा पढिज्जदे ? मोक्खटुं । सग्गादओ किण्ण मग्गिज्जते ? ण, तत्थ अच्चंतदुहाभावादो' संसारकारणसुहत्तादो रागं मोत्तूण तत्थ सुहाभावादो च। परिमाणं उच्चदे- गंथत्थप्परिमाणेभेएण दुविहं परिमाणं । तत्थ गंथदो अक्खर-पद-संघाद-पडिवत्तिअणियोगद्दारेहि संखेज्ज । अत्थदो अणतं। अधवा खंडगंथं पडुच्च वेयणाए सोलसपदसहस्साणि । ताणि च जाणिदूण वत्तव्वाणि । वेदणा त्ति गुणणामं । समाधान नहीं, क्योंकि, उनकी प्रधानता नहीं है। शंका-वह भी कहांसे जाना जाता है ? समाधान—यह संक्षेपमें की गई प्ररूपणासे जाना जाता है । यह सब मंगलदण्डक देशामर्शक है, क्योंकि, निमित्तादिकका सूचक है। इस कारण यहां मंगलके समान निमित्तादिककी प्ररूपणा करना चाहिये। वह इस प्रकारसेग्रन्थावतारके निमित्त शिष्य हैं, क्योंकि वचनोंकी प्रवृत्ति परके निमित्त ही देखी जाती है। शंका-यह शास्त्र किस हेतुसे पढ़ा जाता है । समाधान-मोक्षके हेतु पढ़ा जाता है । शंका-स्वर्गादिककी खोज क्यों नहीं की जाती है ? समाधान नहीं की जाती, क्योंकि, वहां अत्यन्त दुखका अभाव होनेसे संसारकारण रूप सुख है, तथा रागको छोड़कर वहां सुख है भी नहीं । परिमाण कहा जाता है- ग्रन्थ परिमाण और अर्थपरिमाणके भेदसे परिमाण दो प्रकार है। उनमें ग्रन्थकी अपेक्षा अक्षर, पद, संघात,प्रतिपत्ति व अनुयोगद्वारोंसे वह संख्यात है। अर्थकी अपेक्षा वह अनन्त है। अथवा खण्डग्रन्थका आश्रय करके वेदनामें सोलह हजार पद हैं । उनको जानकर कहना चाहिये । नामकी अपेक्षा 'वेदना' यह गुणनाम अर्थात् सार्थक नाम है। १ प्रतिषु ‘तहाभावादो' इति पाठः । २ अ-काप्रत्योः । गंथप्परिमाण-', ' आप्रती गंथपरिमाण-' इति पाठः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001403
Book TitleShatkhandagama Pustak 09
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1949
Total Pages498
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size11 MB
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