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________________ ३०८] छक्खंडागमे बंधसामित्तविचओ [३, २३९. ___ एदासिं देवाउअभंगो। णवरि बंधद्धाणं णत्थि, एक्कम्हि गुणट्ठाणे अद्धाणासभवादो । पंधवोच्छेदो णत्थि, उवरि पि बंधुवलंभादो । सुहुमसांपराइयसुद्धिसंजदेसु पंचणाणावरणीय-चउदंसणावरणीयसादावेदणीय-जसकित्ति-उच्चागोद-पंचंतराइयाणं को बंधो को अबंधो ? ॥ २३९ ॥ सुगमं । 'सुहुमसांपराइयउवसमा खवा बंधा । एदे बंधा, अबंधा णस्थि ॥ २४०॥ एदासिं बंधोदयवोच्छेदाभावादो उदयादो बंधो पुव्वं पच्छा वा वोच्छिण्णा त्ति ण परिक्खा कीरदे । सादावेदणीयस्स बंधो सोदय-परोदओ, अणुदए वि बंधविरोहाभावादो। णिरंतरा सव्वपयडीणं बंधो, एत्थ गुणट्ठाणेसु बंधुवरमाभावादो। ण एगसमयमच्छिय मुदसुहुमसांपराइएहि वियहिचारो, सुहुमसांपराइयगुणट्टाणम्मि त्ति विसेसणादो । ओरालिय इन दोनों प्रकृतियोंकी प्ररूपणा देवायुके समान है। विशेष इतना है कि बन्धाध्वान नहीं है, क्योंकि, एक गुणस्थानमें अध्वानकी सम्भावना नहीं है । बन्धव्युच्छेद नहीं है, क्योंकि, ऊपर भी बन्ध पाया जाता है। __ सूक्ष्मसाम्परायिकशुद्धिसंयतोंमें पांच ज्ञानावरणीय, चार दर्शनावरणीय, सातावेदनीय, यशकीर्ति, उच्चगोत्र और पांच अन्तराय, इनका कौन बन्धक और कौन अबन्धक है ? ॥ २३९ ॥. यह सूत्र सुगम है। सूक्ष्मसाम्परायिक उपशमक और क्षपक बन्धक हैं । ये वन्धक हैं, अबन्धक नहीं हैं ॥ २४०॥ इन प्रकृतियोंके बन्ध व उदयके व्युच्छेदका अभाव होनेसे उदयसे बन्ध पूर्वम न्युच्छिन्न होता है या पश्चात्, यह परीक्षा यहां नहीं की जाती है । सातावेदनीयका बन्ध स्वोदय-परोदय होता है, क्योंकि, उदयके न होनेपर भी उसके बन्धमें कोई विरोध नहीं है। इन सब प्रकृतियों का निरन्तर बन्ध होता है, क्योंकि, इस गुणस्थानमें बन्धविश्रामका अभाव है। ऐसा माननेपर एक समय रहकर मृत्युको प्राप्त हुए सूक्ष्मसाम्परायिक संयतोंसे व्यभिचार होगा, यह भी नहीं कहा जा सकता है, क्योंकि, 'सूक्ष्मसाम्परायिक गुणस्थानमें' ऐसा विशेषण दिया गया है । औदारिक काययोग, लोभ कपाय, चार मनोयोग और चार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001402
Book TitleShatkhandagama Pustak 08
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1947
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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