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________________ ३, ६४.] तिरिक्खगदीए पंचणाणावरणीयादीणं बंधसामित्तं [११३ वेउव्वियसरीरअंगोवंग-वण्ण गंध-रस-फास-देवगदिपाओग्गाणुपुवीअगुरुवलहुव -उवघाद-परघाद--उस्सास-पसत्थविहायगइ--तस-बादर-- पज्जत्त-पत्तेयसरीर-[थिरा-] थिर-सुहासुह सुभग-सुस्सर-आदेज्ज-जसकित्ति-अजसकित्ति णिमिण-उच्चागोद-पंचंतराइयाणं को बंधो को अबंधो ? ॥ ६३ ॥ सुगमं । मिच्छाइटिप्पहुडि जाव संजदासंजदा बंधा । एदे बंधा, अबंधा णत्थि ॥ ६४॥ एदस्स सुत्तस्स अत्थो वुच्चदे-देवगइ-वेउव्वियसरीर वेउब्वियसरीरअंगोवंग-देवगइपाओग्गाणुपुवि-उच्चागोदाणं तिरिक्खेसु उदयाभावादो पुवं पच्छा बंधोदयवोच्छेदविचारो णत्थि, संतासंताणं सण्णिकासविरोहादो । अवसेसपयडीसु वि एस विचारो णत्थि, अत्थगदीए एदासिं बंधोदयवोच्छेदाभावादो । पंचणाणावरणीय-चदुदंसणावरणीय-वेउव्विय-तेजा-कम्मइयसरीर-वण्ण-गंध-रस-फास-अगुरुवलहुव-[ थिरा-] थिर-सुभासुभ णिमिण-पंचंतराइयाण सोदओ व कार्मण शरीर, समचतुरस्रसंस्थान, वैक्रियिकशरीरांगोपांग, वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श, देवगतिप्रायोग्यानुपूर्वी, अगुरुलघु, उपघात, परघात, उच्छ्वास, प्रशस्तविहायोगति, त्रस, बादर, पर्याप्त, प्रत्येकशरीर, स्थिर, अस्थिर, शुभ, अशुभ, सुभग, सुस्वर, आदेय, यशकीर्ति, अयशकीर्ति, निर्माण, उच्चगोत्र और पांच अन्तराय, इनका कौन बन्धक और कौन अबन्धक है ? ॥ ६३ ॥ यह सूत्र सुगम है। मिथ्यादृष्टिसे लेकर संयतासंयत तक बन्धक हैं। ये बन्धक हैं, अबन्धक नहीं हैं ॥ ६४॥ इस सूत्रका अर्थ कहते हैं-देवगति, वैक्रियिकशरीर, वैक्रियिकशरीरांगोपांग, देवगतिप्रायोग्यानुपूर्वी और उच्चगोत्र, इनका तिर्यचोंमें उदय न होनेसे बन्धोदयव्युच्छेदकी पूर्वापरताका विचार नहीं है, क्योंकि, सत् और असत्की समानताका विरोध है। शेष प्रकृतियों में भी यह विचार नहीं है, क्योंकि, अर्थगतिसे इनके बन्धोदयव्युच्छेदका अभाव है। पांच ज्ञानावरण, चार दर्शनावरण, वैक्रियिक तैजस व कार्मण शरीर, वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श, अगुरुलघु, स्थिर, अस्थिर, शुभ, अशुभ, निर्माण और पांच अन्तराय, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001402
Book TitleShatkhandagama Pustak 08
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1947
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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