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२, १, ११.] सामित्ताणुगमे उदयट्ठाणपरूवणा
[५३ पाओग्गाणुपुचि-अगुरुगलहुग-तस-बादर पज्जत्तापज्जत्ताणमेक्कदर थिराथिरं सुभासुभं सुभग-दुभगाणमेक्कदरं आदेज्ज-अणादेज्जाणमेक्कदरं जसकित्ति-अजसकित्तीणमेक्कदरं णिमिणणामं च एदासिं पयडीणमेकमुदयट्ठाणं । पज्जत्तउदएण अट्ठ भंगा, अपअत्तउदएण एक्को, तेसिं समासो णव |९|| गहिदसरीरस्स मणुस्साणुपुस्विमवणेदण ओरालियसरीर-छसंठाणाणमेकदरं ओरालियसरीरअंगोवंग छण्ण संघडणाणमेकदरं उवघादं पत्तेयसरीरं च घेत्तूण पक्खित्ते छव्वीसाए डाणं होदि । भंगा एक्कारसूणतिसदमेत्ता |२८९ । सरीरपज्जत्तीए पज्जत्तयदस्स अपज्जत्तमवणिय परघाद पसत्थापसत्थविहायगदीणमेक्कदरं च घेत्तूण पक्खित्ते अट्ठावीसाए हाणं होदि । भंगा चउवीसूणछसदमेत्ता ५७६। आणापाणपज्जत्तीए पञ्जत्तयदस्स उस्सासं घेत्तूण पक्खित्ते एगुणतीसाए हाणं होदि।
कोई एक, स्थिर", अस्थिर", शुभ, अशुभ", सुभग और दुर्भगमेंसे कोई एक, आदेय और अनादेयमें से कोई एक", यशकीर्ति और अयशकीर्ति से कोई एक और निर्माण', इन प्रकृतियों का एक उदयस्थान होता है। यहां पर्याप्तादय सहित (सुभग
दुर्भग, आदेय-अनादेय और यशकीर्ति अयशकीर्तिके विकल्पोंसे ) आठ भंग होते हैं। अपर्याप्तोदय सहित एक ही भंग है ( क्योंकि सुभग, आदेय और यशकीर्तिके साथ अपर्याप्तका उदय नहीं होता)। पर्याप्त और अपर्याप्तके भंगोंका योग हुआ नौ ( ८+ १ = ९)
शरीर ग्रहण करलेनेवाले मनुष्यके पूर्वोक्त इक्कीस प्रकृतियोंमेंसे आनुपूर्वीको छोड़कर औदारिकशरीर, छह संस्थानोंमेंसे कोई एक, औदारिकशरीरांगोपांग, छह संहननोंमेंसे कोई एक, उपघात और प्रत्ये कशरीर, इस प्रकार छह प्रकृतियां मिलादेनेपर छब्बीस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान हो जाता है । यहां भंग (पर्याप्तके उदय सहित सुभग दुर्भग, आदेय-अनादेय, यशकीर्ति-अयशकीर्ति, छह संस्थान और छह संहननके विकल्पोंसे २४२४२४६४६-२८८ और अपर्याप्तोदय सहित भंग १, इस प्रकार ) दो सौ नवासी होते है ( २८९ )।
शरीरपर्याप्ति पूर्ण करलेनेवाले मनुष्य के पूर्वोक्त छन्वीस प्रकृतियों मेंसे अपर्याप्तको छोड़कर परघात तथा प्रशस्त और अप्रशस्त विहायोगतियोंमेंसे कोई एक, ऐसी दो प्रकृतियोंको मिलादेनेसे अट्राईस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान होता है। यहां भंग (सुभग दुर्भग, आदेय-अनादेय, यशकीर्ति अयशकीर्ति, छह संस्थान, छह संहनन और प्रशस्त-अप्रशस्त विहायोगति, इनके विकल्पोंसे २x२x२x६४६४२= ) ५७६ पांच सौ छयत्तर या चौवीस कम छह सौ होते हैं ।
आनप्राणपर्याप्ति पूर्ण करलेनेवाले मनुष्यके पूर्वोक्त अट्ठाईस प्रकृतियोंमें उच्छ्वासको लेकर मिलादेनेसे उनतीस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान होता है। यहां भंग
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