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________________ २, ११-२, १४.] अप्पाबहुगाणुगमे महादंडओ [५७९ उवरिमहेट्ठिमगेवज्जविमाणवासियदेवा संखेजगुणा ॥ १० ॥ को गुणगारो ? संखेज्जसमया । कुदो ? अप्पपुण्णाणं जीवाणं बहुआणं संभवादो। मज्झिमउवरिमगेवज्जविमाणवासियदेवा संखेजगुणा ॥ ११ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जसमया। कुदो ? अप्पाउआणं जीवाणं बहुआणमुवलंभादो। मज्झिममज्झिमगेवज्जविमाणवासियदेवा संखेज्जगुणा ॥ १२ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जसमया । कुदो? सव्वत्थ मंदपुण्णजीवाणं बहुत्तुवलंभादो। मज्झिमहेट्ठिमगेवज्जविमाणवासियदेवा संखेज्जगुणा ॥ १३ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जसमया | कुदो ? मंदतवाणं बहुआणमुवलंभादो । हेट्ठिमउवरिमगेवज्जविमाणवासियदेवा संखेज्जगुणा ॥ १४ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जसमया । कारणं सुगमं । उपरिम-अधस्तनौवेयकविमानवासी देव संख्यातगुणे हैं ॥१०॥ गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है, क्योंकि, अल्प पुण्यवाले जीव बहुत सम्भव हैं। मध्यम-उपरिमग्रेवेयकविमानवासी देव संख्यातगुणे हैं ।। ११ ॥ . गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है, क्योंकि, अल्पायु जीव बहुत पाये जाते हैं। मध्यम-मध्यमवयकविमानवासी देव संख्यातगुणे हैं ॥ १२ ॥ गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है, क्योंकि, सर्वत्र मन्द पुण्यवाले जीवोंकी बहुलता पायी जाती है। मध्यम-अधस्तनौवेयकविमानवासी देव संख्यातगुणे हैं ॥१३॥ गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है, क्योंकि, मन्द तपवाले जीव बहुत पाये जाते हैं। अधस्तन-उपरिमौवेयकविमानवासी देव संख्यातगुगे हैं ॥ १४ ॥ गुणकार क्या है ? संण्यात समय गुणकार है । कारण सुगम है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001401
Book TitleShatkhandagama Pustak 07
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1945
Total Pages688
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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