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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो [ २, ११, १८२. कुदो ? पंचिंदियतिरिक्खजोणिणीणं संखेज्जदिभागेण पम्मलेस्सियदव्वेण तेउलेस्सियदव्वे भागे हिदे संखेज्जरूबोवलंभादो।
अलेस्सिया अणंतगुणा ॥ १८२ ॥ गुणगारो अभवसिद्धिएहि अणंतगुणो । कारणं सुगमं । काउलेस्सिया अणंतगुणा ॥ १८३ ॥
गुणगारो अभवसिद्धिएहितो सिद्धेहितो सबजीवपढमवग्गमूलादो वि अणतगुणो। कारणं सुगम ।
णीललेस्सिया विसेसाहिया ॥ १८४ ॥
केत्तियो विसेसो ? अणंतो का उलेस्सियाणमसंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? आवलियाए असंखेज्जदिभागो ।
किण्णलेस्सिया विसेसाहिया ॥ १८५॥
केत्तियो विसेसो ? अणतो णीललेस्सियाणमसंखेज्जदिभागो। को पडिभागो ? आवलियाए असंखेज्जदिभागो ।
क्योंकि, पंचेन्द्रिय तिर्यंच योनिमतियोंके संख्यातवें भागप्रमाण पद्मलेश्यावालोंके द्रव्यका तेजोलेश्यावालोंके द्रव्यमें भाग देनेपर संख्यात रूप उपलब्ध होते हैं ।
तेजोलेश्यावालोंसे लेश्यारहित अर्थात् अयोगी व सिद्ध जीव अनन्तगुणे हैं ॥१८२॥ गुणकार अभव्यसिद्धोंसे अनन्तगुणा है । कारण सुगम है। अलेश्यिकोंसे कापोतलेश्यावाले अनन्तगुणे हैं ॥ १८३ ॥
गुणकार अभव्यसिद्धिकोसे, सिद्धोंसे और सर्व जीवोंके प्रथम वर्गमूलसे भी भनन्तगुणा है। कारण सुगम है ।
कापोतलेश्यावालोंसे नीललेश्यावाले विशेष अधिक हैं ॥ १८४ ॥
विशेष कितना है ? कापोतलेझ्यावालों के असंख्यातवें भाग अनन्त है । प्रतिभाग क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग प्रतिभाग है।
नीललेश्यावालोंसे कृष्णलेश्यावाले विशेष अधिक है ।। १८५ ।।
विशेष कितना है ? विशेष अनन्त है जो नीललेश्यावालोंके असंख्यातवें भागप्रमाण है। प्रतिभाग क्या है ? आवलीका असंख्यातवां भाग प्रतिभाग है।
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