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२, ११, ५०.] अप्पाबहुगाणुगमे कायमगणा
तेउक्काइयअपज्जत्ता असंखेज्जगुणा ॥४७॥
एत्थ गुणगारो असंखेज्जा लोगा, तसकाइय अपज्जत्तएहि तेउक्काइयअपज्जत्तरासिम्हि भागे हिदे असंखेज्जलोगुवलंभादो ।
पुढविकाइयअपज्जत्ता विसेसाहिया ॥४८॥
विसेसपमाणमसंखेज्जा लोगा तेउक्काइयअपज्जत्ताणमसंखेज्जदिमागो। को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा ।
आउक्काइयअपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ४९ ॥
केत्तिओ विसेसो ? असंखेज्जा लोगा पुढविकाइयाणमसंखेज्जदिमागो। को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा।
वाउक्काइयअपज्जत्ता विसेसाहिया ॥ ५० ॥
विसेसपमाणमसंखेज्जा लोगा आउकाइयाणमसंखेज्जदिभागो। को पडिभागो ? असंखेज्जा लोगा।
त्रसकायिक अपर्याप्तोंसे तेजस्कायिक अपर्याप्त जीव असंख्यातगुणे हैं ॥४७।।
यहां गुणकार असंख्यात लोक है, क्योंकि, त्रसकायिक अपर्याप्त जीवोंका तेजस्कायिक अपर्याप्त राशिमें भाग देनेपर असंख्यात लोक उपलब्ध होते हैं।
तेजस्कायिक अपर्याप्तोंसे पृथिवीकायिक अपर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥४८॥
विशेषका प्रमाण तेजस्कायिक जीवोंके असंख्यातवें भागमात्र असंख्यात लोक है। प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है ।
पृथिवीकायिक अपर्याप्तोंसे अप्कायिक अपर्याप्त जीव विशेष अधिक हैं ॥४९॥
विशेष कितना है ? पृथिवीकायिक जीवोंके असंख्यातवें भाग असंख्यात लोकप्रमाण विशेष है । प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है।
अप्कायिक अपर्याप्तोंसे वायुकायिक अपर्याप्त जीव विशेष आधिक हैं ॥५०॥
विशेषका प्रमाण अप्कायिक जीवोंके असंख्यातवें भाग असंख्यात लोक है। प्रतिभाग क्या है ? असंख्यात लोक प्रतिभाग है।
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