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२,१०, ६६.]
भागाभागाणुगमे दंसणमग्गणा
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सुगमं ।
अणंता भागा ॥ ६२ ॥ कुदो ? अणप्पिदसव्वसंजदेहि सव्वजीवरासिम्हि भागे हिदे अणंतरूवोवलंभादो।
दंसणाणुवादेण चक्खुदंसणी ओहिदसणी केवलदंसणी सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? ॥ ६३॥
सुगमं । अणंतभागो ॥ ६४॥ कुदो ? एदेहि सव्वजीवरासिमवहिरदे अणंतभागोवलंभादो । अचक्खुदंसणी सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? ॥६५॥ सुगमं । अणंता भागा ॥६६॥
यह सूत्र सुगम है। असंयत जीव सब जीवोंके अनन्त बहुभागप्रमाण हैं ॥ ६२ ॥
क्योंकि, अविवक्षित सर्व संयतोंका सर्व जीवराशिमें भाग देनेपर अनन्त म्प प्राप्त होते हैं।
दर्शनमार्गणानुसार चक्षुदर्शनी, अवधिदर्शनी और केवलदर्शनी जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? ॥ ६३ ॥
यह सूत्र सुगम है। उपर्युक्त जीव सर्व जीवोंके अनन्तवें भागप्रमाण हैं ॥ ६४ ॥
क्योंकि, इनके द्वारा सर्व जीवराशिको अपहृत करनेपर अनन्तवां भाग उपलब्ध होता है।
अचक्षुदर्शनी जीव सब जीवोंके कितनेवें भागप्रमाण हैं ? ॥ ६५॥ यह सूत्र सुगम है। अचक्षुदर्शनी जीव सब जीवोंके अनन्त बहुभागप्रमाण हैं ॥ ६६ ॥
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