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४९०] छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[ २, ९, ४८. ___ लेस्साणुवादेण किण्हलेस्सिय-णीललेस्सिय-काउलेस्सियन्तेउलेस्सिय-पम्मलेस्सिय-सुक्कलेस्सियाणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? ॥४८॥
सुगमं । णत्थि अंतरं ॥४९॥ सुगमं । णिरंतरं ॥५०॥ - सुगमं ।
भवियाणुवादेण भवसिद्धिय-अभवसिद्धियाणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? ।।५१ ॥
सुगमं । णत्थि अंतरं ॥ ५२॥
लेश्यामार्गणाके अनुसार कृष्णलेश्यावाले, नीललेश्यावाले, कापोतलेश्यावाले, तेजोलेश्यावाले, पद्मलेश्यावाले और शुक्ललेश्यावाले जीवोंका अन्तर कितने काल तक होता है ? ।। ४८॥
यह सूत्र सुगम है। उपर्युक्त जीवोंका अन्तर नहीं होता है । ४९ ॥ यह सूत्र सुगम है। वे जीवराशियां निरन्तर हैं ।। ५० ॥ यह सूत्र सुगम है।
भव्यमार्गणाके अनुसार भव्यसिद्धिक और अभव्यसिद्धिक जीवोंका अन्तर कितने काल तक होता है ? ॥५१॥
यह सूत्र सुगम है। भव्यसिद्धिक और अभव्यसिद्धिक जीवोंका अन्तर नहीं होता है ॥ ५२ ।।
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