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४८८ छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, ९, ३७. णत्थि अंतरं ॥ ३७ ॥ सुगमं.। णिरंतरं ॥ ३८ ॥ सुगमं ।
संजमाणुवादेण संजदा सामाइयछेदोवट्ठावणसुद्धिसंजदा परिहारसुद्धिसंजदा जहाक्खादविहारसुद्धिसंजदा संजदासंजदा असंजदाणमंतरं केवचिरं कालादो होदि ? ॥ ३९ ॥
सुगमं । णत्थि अंतरं ॥ ४०॥ सुगमं । णिरंतरं ॥ ४१॥ सुगमं ।
सुहुमसांपराइयसुद्धिसजदाणं अंतर केवचिरं कालादो होदि ? ॥४२॥
उपर्युक्त जीवोंका अन्तर नहीं होता है ।। ३७ ।। यह सूत्र सुगम है। ये जीवराशियां निरन्तर हैं ॥ ३८ ॥ यह सूत्र सुगम है।
संयममार्गणाके अनुमार संयत, सामायिकछेदोपस्थापनाशुद्धिमयत, परिहारशुद्धिसंयत, यथाख्यातविहारशुद्धिसंयत, संयतासंयत और असंयत जीवोंका अन्तर कितने काल तक होता है ? ॥ ३९ ॥ ।
यह सूत्र सुगम है। उपर्युक्त जीवोंका अन्तर नहीं होता है ।। ४० ।। यह सूत्र सुगम है। वे जीवराशियां निरन्तर हैं ॥ ४१ ।। यह सूत्र सुगम है ! सूक्ष्मसांपरायिक जीवोंका अन्तर कितने काल तक होता है ? ॥ ४२ ॥
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