SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 464
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २, ७, १७०. ] फोसणाणुगमे संजममग्गणा कुदो ? विस्तसादो | केवलणाणी अवगदवेदभंगो ॥ १६८ ॥ वरि मारणंतियपदं णत्थि, केवलणाणिम्हि तस्सत्थित्तविरोहादो । संजमाणुवादेण संजदा जहाक्खादविहारसुद्धिसंजदा अकसाइ भंगो ॥ १६९ ॥ एसो सुत्तणिसो दव्चट्ठियणयावलंबणा । पज्जवट्ठियणए पुण अवलंविज्जमाणे संजदा अकसाइलाण होंति, संजदेसु अकसाइजीवेसु अविज्जमाणवेउच्त्रिय-तेजाहारपदाणमुवलं भादो । सेसं सुगमं । सामाइयच्छेदोवद्वावणसुद्धिसंजद-सुहुमसांपराइयसंजदाणं मणपज्जवणाणिभंगो ॥ १७० ॥ एसो दव्वट्टिणिसो | पज्जवट्ठियणए पुण अवलंबिज्जमाणे सामाइयच्छेदोवाणसुद्धिसंजदा पुण मणपज्जवणाणितुल्ला होंति, मणपज्जवणाणिसु तेजाहारपदाणम [ ४३१ क्योंकि, ऐसा स्वभाव है । केवलज्ञानी जीवोंकी प्ररूपणा अपगतवेदियों के समान है ।। १६८ विशेष इतना है कि केवलशानियोंके मारणान्तिक पद नहीं होता, क्योंकि, केवलज्ञानीमें उसके अस्तित्वका विरोध है । संयममार्गणानुसार संयत और यथाख्यातविहारशुद्धिसंयत जीवोंकी प्ररूपणा अकषायी जीवोंके समान है ॥ १६९ ॥ Jain Education International इस सूत्र का निर्देश द्रव्यार्थिक नयका आलम्बन करता है । पर्यायार्थिक नयका आलम्बन करनेपर संयत जीव अकषायी जीवों के तुल्य नहीं हैं, क्योंकि, अकषायी जीवोंमें अविद्यमान वैक्रियिकसमुद्घात, तैजससमुद्घात और आहारकसमुद्घात पद संयतों में पाये जाते हैं। शेष सूत्रार्थ सुगम है । सामायिकछेदोपस्थापनशुद्धिसंयत और सूक्ष्मसाम्परायिकसंयत जीवोंकी प्ररूपणा मन:पर्ययज्ञानियोंके समान है ॥ १७० ॥ यह कथन द्रव्यार्थिक नयसे है। पर्यायार्थिक नयका अबलम्बन करनेपर सामायिकछेदोपस्थापनशुद्धिसंयत जीव मनःपर्ययज्ञानियोंके तुल्य होते हैं, क्योंकि, मनःपर्ययज्ञानियोंमें तैजससमुद्घात और आद्दारकसमुद्घात पदका अभाव है । परन्तु For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001401
Book TitleShatkhandagama Pustak 07
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1945
Total Pages688
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy