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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो [ २, ७, १०८. अत्थो एत्थ वक्खाणिज्जदि ? ण एस दोसो, एदस्स सुत्तस्स देसामासियत्तादो । विहारवदिसत्थाण-वेउब्धिय-तेजाहारपदाणि ओरालियमिस्से णत्थि ।
ओरालियकायजोगी सत्थाण-समुग्घादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं? ॥ १०८ ॥
सुगमं । सव्वलोगो ॥ १०९॥
सत्थाणसत्थाण-वेयण-कसाय-मारणंतिएहि वट्टमाणातीदेसु सबलोगो फोसिदो विहारवदिसत्थाणेण वट्टमाणं खेत्तं । अदीदेण तिण्हं लोगाणमसंखेज्जदिभागो, तिरियलोगस्स संखेज्जदिभागो, अड्डाइज्जादो असंखेज्जगुणो फोसिदो । वेउब्धियपदेण वट्टमाणं खेत्तं । अदीदेण तिण्णं लोगाणमसंखेञ्जदिभागो, पर-तिरियलोगेहिंतो असंखेज्जगुणो फोसिदो । एदं सुत्तं देसामासियं काऊण सबमेदं वक्खाणं सुत्तारूढं कायव्यं ।
समाधान- यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि यह सूत्र देशामर्शक है।
विहारवत्स्वस्थान, वैक्रियिकसमुद्घात, तैजससमुद्घात और आहारकसमुद्र धात पद औदारिकमिश्रयोगमें नहीं होते हैं।
औदारिककाययोगी जीव स्वस्थान और समुद्घातकी अपेक्षा कितना क्षेत्र स्पर्श करते हैं ? ॥ १०८॥
यह सूत्र सुगम है।
औदारिककाययोगी जीव स्वस्थान व समुद्घातकी अपेक्षा सर्व लोक स्पर्श करते हैं ॥ १०९॥
स्वस्थानस्वस्थान वेदनासमुद्घात कषायसमुद्घात और मारणान्तिकसमुद्घात पदोंसे उक्त जीवाने सर्व लोक स्पर्श किया है । विहारवत्स्वस्थानसे वर्तमान कालकी अपेक्षा स्पर्शनका निरूपण क्षेत्रके समान है । अतीत कालकी अपेक्षा तीन लोकोका असंख्यातवां भाग, तिर्यग्लोकका संख्यातवां भाग, और अढाईद्वीपसे असंख्यात गणे क्षेत्रका स्पर्श किया है। वैक्रियिक पदसे वर्तमान कालकी प्ररूपणा क्षेत्रप्ररूपणाके समान है। अतीत कालकी अपेक्षा तीन लोकोंके असंख्यातवें भाग तथा मनुष्यलोक व तिर्यग्लोकसे असंख्यातगुणे क्षेत्रका स्पर्श किया है । इस सूत्रको देशामर्शक करके यह सब सूत्रविहित व्याख्यान करना चाहिये।
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