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________________ २, ७, २८.] फोसणाणुगमे देवाणं फोसणं [ ३८३ लोगाणमसंखेज्जदिभागो, तिरियलोगस्स संखेज्जदिभागो, अड्डाइज्जादो असंखेज्जगुणो फोसिदो । कधं तिरियलोगस्स संखेज्जदिभागत्तं ? ण एस दोसो, चंदाइच्च-बुह-भेसइकोण-सुक्कंगार-णक्खत्त तारागण-अट्ठविहवेंतरविमाणेहि य रुद्धखेत्ताणं तिरियलोगस्स संखेज्जदिभागमेत्ताणमुवलंभादो । विहारेण अडचोद्दसभागा देसूणा फोसिदा । मेरुमूलादो उवीर छरज्जुमेत्तो हेट्ठा दोरज्जुमेत्तो देवाणं विहारो, तेण अट्ठचौद्दसभागो त्ति वुत्तो । केण ते ऊगा ? तदियपुढवीए हेट्ठिमजोयणसहस्सेण । समुग्धादेण केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥२७॥ सुगमं । लोगस्त असंखेज्जदिभागो अट्ठ-णवचोदसभागा वा देसूणा ॥२८॥ लोगस्स असंखेज्जदिभागो ति णिदेसो वट्टमाणक्खेत्तपरूवणाओ, तेण तिर्यग्लोकका संख्यातवां भाग, और अढ़ाई द्वीपसे असंख्यातगुणा क्षेत्र स्पृष्ट है । शंका-तिर्यग्लोकका संख्यातवां भाग कैसे घटित होता है ? समाधान - यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि, चन्द्र, आदित्य, बुध, बृहस्पति, शनि, शुक, अंगारक ( मंगल ), नक्षत्र, तारागण और आठ प्रकारके व्यन्तर विमानोंसे रुद्ध क्षेत्र तिर्यग्लोकके संख्यातवें भागप्रमाण पाये जाते हैं। विहारकी अपेक्षा कुछ कम - आठ बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं । मेरुमूलसे ऊपर छह राजुमात्र और नीचे दो राजुमात्र क्षेत्रमें देवोंका विहार है, इसलिये 'आठ बटे चौदह भाग' ऐसा कहा है। शंका-वे आठ बटे चौदह भाग किससे कम हैं ? समाधान-तृतीय पृथिवीके नीचे एक सहस्र योजनसे कम हैं। देवों द्वारा समुद्घातकी अपेक्षा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ २७ ।। यह सूत्र सुगम है। समुद्घातकी अपेक्षा लोकका असंख्यातवां भाग अथवा कुछ कम आठ बटे चौदह वा नौ बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं ॥ २८ ॥ 'लोकका असंख्यातवां भाग' यह निर्देश वर्तमानक्षेत्रप्ररूपणाकी अपेक्षासे है, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001401
Book TitleShatkhandagama Pustak 07
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1945
Total Pages688
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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