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________________ पृष्ठ नं. " ३६५ ३५१ षट्खंडागमको प्रस्तावना क्रम नं. विषय पृष्ठ नं. | क्रम नं. विषय ३२ कार्मणकाययोगियोंका क्षेत्र ३४६ ५० सम्यग्मिथ्याष्टि जीवोंकी। ३३ स्त्रीवेदी और पुरुषवेदियोंकी क्षेत्रप्ररूपणा . ३६३ क्षेत्रप्ररूपणा | ५१ मिथ्यादृष्टि जीवोका क्षेत्र ३४ नपुंसकवेदी और अपगत ५२ संशी जीवोंकी क्षेत्रप्ररूपणा वेदियोकी क्षेत्रप्ररूपणा ३४८ ५३ असंही " " ३५ क्रोधादि चारों कषाय युक्त ५४ आहारक , " जीवोंकी क्षेत्रप्ररूपणा ५५ अनाहारक, " ३६६ ३६ मति-श्रुत अज्ञानी जीवोंकी स्पर्शनानुगम क्षेत्रप्ररूपणा ३७ विभंगशानी और मनःपर्यय १ सामान्य नारकियोंकी स्पर्शन प्ररूपणा ३६७ झानी जीवोंकी क्षेत्रप्ररूपणा ३८ मति-श्रुत और अवधिज्ञानी २ झालर समान तिर्यग्लोककी जीवोंकी क्षेत्रप्ररूपणा ३५२ मान्यताका खण्डन ३७१ ३९ केवलज्ञानी जीवोंका क्षेत्र ३ द्वितीयादि पृथिवियोंके नार. ३७३ ४० संयत जीवोंकी क्षेत्रप्ररूपणा कियोंकी स्पर्शनप्ररूपणा ३५४ ४ सामान्य तिर्यचौकी स्पर्शन ४१ असंयत " " प्ररूपणा ३७४ ४२ चक्षुदर्शनी जीवोंका क्षेत्र ५ शेष चार प्रकारके तिर्यचोंकी ४३ अचक्षुदर्शनी जीवोंकी क्षेत्र स्पर्शनप्ररूपणा .३७६ प्ररूपणा ३५६ ६ मनुष्य, मनुष्य पर्याप्त और ४४ अवधिदर्शनी व केवलदर्शनी मनुष्यनियोंकी स्पर्शनप्ररूपणा ___ जीवोंकी क्षेत्रप्ररूपणा ३५७ ७ मनुष्य अपर्याप्तोंकी स्पर्शन ४५ कृष्णादिक पांच लेश्यावाले प्ररूपणा जीवोंकी क्षेत्रप्ररूपणा ८ सामान्य देवोंका स्पर्शन ४६ शुक्ललेश्यावाले जीवोंकी ९ भवनत्रिक देवोंकी स्पर्शनक्षेत्रप्ररूपणा ३५९ प्ररूपणा ४७ भव्य व अभव्य जीवोंकी १० सौधर्म और ईशान कल्पवासी क्षेत्रप्ररूपणा ३६० देवोंकी स्पर्शनप्ररूपणा ४८ सम्यग्दृष्टि और क्षायिक ११ सनत्कुमारादि सहस्रार कल्पसम्यग्दृष्टि जीवोंका क्षेत्र ३६१ वासी देवोंकी स्पर्शनप्ररूपणा ३८९ ४९ वेदकसम्यग्दृष्टि, उपशम. | १२ आनतादि चार कल्पवासी सम्यग्दृष्टि और सासादन देवोंकी स्पर्शनप्ररूपणा सम्यग्दृष्टि जीवोंकी क्षेत्रप्ररूपणा ३६२ १३ कल्पातीत देयोका स्पर्शन Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001401
Book TitleShatkhandagama Pustak 07
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1945
Total Pages688
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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