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छक्खंडागमे जीवट्ठाणं ( १, ९-९, १२४. गम्भोवक्कंतिएसु गच्छंता पज्जत्तएसु गच्छंति, णो अपज्जत्तएसु ॥ १२४ ॥
पज्जत्तएसु गच्छंता संखेज्जवासाउएसु वि गच्छंति, असंखेज्जवासाउवेसु वि ॥ १२५ ॥
एदाणि सुत्ताणि सुगमाणि ।
मणुसेसु गच्छंता गम्भोवक्कंतिएसु गच्छंति, णो सम्मुच्छिमेसु ॥ १२६ ॥
गब्भोवक्कंतिएसु गच्छंता पज्जत्तएसु गच्छंति, णो अपज्जत्तएसु ॥ १२७ ॥
पज्जत्तएसु गच्छंता संखेज्जवासाउएसु वि गच्छंति, असंखेजवासाउएसु वि गच्छंति॥ १२८ ॥
एदाणि सुत्ताणि सुगमाणि ।
गर्भोपक्रान्तिक संज्ञी पंचेन्द्रिय तिर्यंचोंमें जानेवाले उपर्युक्त तिर्यंच पर्याप्तकोंमें जाते हैं, अपर्याप्तकोंमें नहीं ॥ १२४ ॥
पर्याप्तक गर्भोपक्रान्तिक संज्ञी पंचेन्द्रियोंमें जानेवाले उपर्युक्त तिर्यंच संख्यातवर्षकी आयुवाले जीवोंमें ही जाते हैं, असंख्यातवर्षायुष्कोंमें नहीं ॥ १२५ ॥
ये सूत्र सुगम हैं।
मनुष्योंमें जानेवाले संख्यातवर्षायुष्क सासादनसम्यग्दृष्टि तिर्यंच गर्भोपक्रान्तिक मनुष्योंमें ही जाते हैं, सम्मूछिमोंमें नहीं ॥ १२६ ॥
___ गर्भोपक्रान्तिक मनुष्योंमें जानेवाले उपर्युक्त तिर्यंच पर्याप्तकोंमें जाते हैं, अपर्याप्तकोंमें नहीं ॥१२७॥
पर्याप्तक गर्भोपक्रान्तिक मनुष्योंमें जानेवाले उपर्युक्त तिथंच संख्यात वर्षकी आयुवाले मनुष्योंमें भी जाते हैं, और असंख्यात वर्षकी आयुवाले मनुष्योंमें भी जाते हैं ॥ १२८ ॥
ये सूत्र सुगम हैं।
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