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(पृष्ठ ३२ अ प्रस्तावना.).
६. गुणोत्पादन (गत्यागति चूलिका, सूत्र २०३-२४३)
कौनसे गुण उत्पन्न कर सकता है सम्यक्त्व
संयम
शलाका पुरुष
किस गतिसे
किस गतिमें आकर
अंतकृत् |
सम्यक्त्वा संयमा
योग
श्रुत | अवधि
| अवधि
मति
सम्य
मनःः | केवल
संयम | बलदेव | वासुदेव
चक्रवर्ती तीर्थकर
| ग्मिथ्यात्व
संयम
नरक
तिर्यच
X
X
मनुष्य तिर्यच मनुष्य तियच मनुष्य
X X X X X
xxxxxxxxx
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xxx Xxxxxxx
xxxxxxxxx
xxxxxxxxxxxxx
X X X X X X X X
Xxxxxxxxxxxxx
xxxxxxxxxxxx
तिर्यच
X
। मनुष्य
तिर्यंच मनुष्य
नरक
X X
X X X X
X
मवनत्रिक देव देवियां, सौ.ई. की देवियां
तिर्यच मनुष्य
र
xx
xx
xxH
xx x
सौ. ई. से शतार सहस्रार , तिर्यच तकके देव
मनुष्य आनतादि नौ मैवेयक तक अनुदिशसे अपराजित " सर्वार्थसिद्धिके देव
xx xnxx
xx xb :::
नि.र.
नि. र.
वि. नि. र.
नि.उ.
नोट- संकेतोंका अर्थ- x = नहीं होता । उ. = उत्पन्न कर सकते हैं । नि. उ. = नियमसे उत्पन्न करते हैं । नि. र. = नियमसे रहता है । वि. र. = विकल्पसे रहता है।
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