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३. भिन्न भिन्न गतियोंमें सम्यक्त्वोत्पत्तिके कारण
(गत्यागति चूलिका सूत्र १-४३)
गति
जिनबिंबर्दशन
धर्भश्रवण | जातिस्मरण
वेदना
काल
नरक
प्रथम पृथ्वी
पर्याप्त होनेसे अन्तर्मुहूर्त पश्चात्
द्वितीय "
तृतीय
चतुर्थ
xxxxxxx
पंचम
षष्ठ
सप्तम
तिर्यंच (पं. सं. ग. प.)
दिवसपृथक्त्वके
पश्चात्
मनुष्य (ग. प.)
आठ वर्षसे ऊपर
प. देव भवनवासीसे शतार-सहस्रार | जिनमहिमदर्शन
, | देवर्द्धिदर्शन | अन्तर्मुहूर्तसे
,
आनत-अच्युत
नव अवेयक प्रैवेयकोंसे ऊपरके देव नियमसे सम्यक्त्वी ही होते हैं।
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