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विषय-परिचय
(२५)
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प्रकृतिसमुत्कीर्तन
बन्धस्थान
प्रथमसम्यक्त्व। उत्कृष्ट
जघन्य अभिमुखके बन्धयोग्य है
स्थिति आबाधा स्थिति आबाघा या नहीं
मूलप्रकृति
उ. प्रकृति
(९) वर्ण
| ५ कृष्णादि | अपूर्व. तक
२० को. २ व. स. उसा.x
अन्तर्मु.
| १ सुरभि २ दुरभि
। ।
(११) रस
५ तिक्तादिक
| ८ कर्कशादि (१३) आनु- १ नरकगति. मिथ्यादृष्टि पूर्वी २ तिर्यंचगति- मिथ्या. सासा. | ७ वें नरकके
जीव बांधते हैं ३ मनुष्यगति. असंयत- देव नारकी १५ को
सम्य. तक ___ बांधते हैं ४ देवगति. ! अपूर्व. तक तिर्यच मनुष्य १०,
बांधते हैं
:::::
.
!(१४) विहायो-१ प्रशस्त
गति | २ अप्रशस्त
मिथ्या. सासा.
अपूर्व. तक
(अपिंड १ अगुरुलघु प्रकृतियां) २ उपघात
३ परघात ४ उच्छास ५ आताप ६ उद्योत
::::::
नहीं
७त्रस ८ स्थावर ९ बादर १० सूक्ष्म
मिथ्यादृष्टि मिथ्या. सासा. ७ वें नरकके
जीव विकल्पसे
बांधते हैं अपूर्व. तक मिथ्यादृष्टि नहीं अपूर्व. तक मिथ्यादृष्टि नहीं |१८,१६
४ इसे पल्योपमके असंख्यातवें भागसे हीन ग्रहण करना चाहिये । ...
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