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________________ १५६] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं [ १, ९-६, ६. __ एत्थ णिसेयक्कमो उच्चदे । तं जहा- णाणागुणहाणिसलागगच्छमेगादिदुगुणसंकलणमाणिय तीए समयपबद्धे भागे हिदे जं लद्धं तेण अंतादिधणे गुणिदे पढमादिगुणहाणिदव्वं होदि । तम्हि एगगुणहाणीए तीहि चउभागेहि एगरूवस्स चउभागेणम्भहिएहि भागे हिदे पढमणिसेओ होदि । तम्हि दोगुणहाणीहि भागे हिदे गोउच्छ अब यहां निषेक क्रमको कहते हैं । वह इस प्रकार है- नानागुणहानिशलाकाओंको गच्छ मानकर तत्प्रमाण एकको आदि लेकर दुगनी दुगनी संख्या लो और उसका योग करलो। इस संकलनका जो फल आवे, उससे समयप्रबद्धमें भाग देनेपर जो लब्ध होगा उससे पूर्वोक्त दुगुण-क्रमके अंतिम आदिधनमें गुणा करनेसे क्रमशः प्रथम, द्वितीय आदि गुणहानियों का द्रव्य प्राप्त होगा। उदाहरण-समयप्रबद्ध = ६३००; नानागुणहानिशलाका = ६; अतएव गुणहानिशलाका-गच्छका एकादि द्विगुण-संकलन हुआ- १ २ ३ ४ ५ ६ १+२+४+८+१६+३२ = ६३. .६३९° = १०० । अतः ६ गुणहानियोंका द्रव्य इस प्रकार होगा १००४३२३२०० प्रथम गुणहानिका द्रव्य. १००x१६ = १६०० द्वितीय १००४ ८ = ८०० तृतीय १००४ ४ = ४०० चतुर्थ १००x२% २०० पंचम १००x१ = १०० षष्ठ ६३०० समस्त द्रव्यका प्रमाण. इन गुणहानियोंके द्रव्योंमेंसे किसी भी एक गुणहानिसंबंधी द्रव्यमें गुणहानिप्रमाण (आयाम) के त्रिचतुर्थाशमें एक रूपका चतुर्थभाग () और मिलाकर उसका भाग देने पर विवक्षित गुणहानिका प्रथम निषेक निकल आवेगा। उदाहरण-गुणहानि आयाम = ८. ८x + १ = ६ = २४ इसका पूर्वोक्त गुणहानि द्रव्योंमें भाग देनेसे निकलेगा प्रथम गुणहानिका = ३२००४२ = ५१२ प्रथम निषेक द्वितीय , = १६०० ४ ३५ = २५६ तृतीय , = ८००४ १५ = १२८ , चतुर्थ , = ४००४ २५ = ६४ , पंचम = २००४ ५ = ३२ षष्ठ , = १००४ ५५ = १६ प्रत्येक गुणहानिके प्रथम निषेकमें दो गुणहानियोंका भाग देनेसे उस गुणहानिका Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001400
Book TitleShatkhandagama Pustak 06
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1943
Total Pages615
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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