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शुद्धिपत्र पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध
शुद्ध १८२ २३ चाहिए।
चाहिए। (किन्तु सम्यग्मिथ्यादृष्टि गुणस्थानमें
मरण नहीं होता है।) १९१ १० और अधस्तन चार पृथिवियों- . और सातवीं पृथिवीसम्बन्धी अधस्तन चार
सम्बन्धी चार ___ ७ मारणंतिय (-उववाद-) मारणंतियपरिणदेहि
परिणदेहि २२ मारणान्तिकसमुद्धात और उप- मारणान्तिकसमुद्धात-पदपरिणत
पादपदपरिणत ___१३ वैक्रियिकमिश्रकाययोगी जीवोंका असंयतसम्यग्दृष्टि जीवोंका २७३. २१ नारकियोंसे............सासादन- नारकियोंमेंसे तिर्यंचों और मनुष्योंमें मारसम्यग्दृष्टि
णान्तिकसमुद्धात करनेवाले स्त्री और पुरुष
वेदी सासादनसम्यग्दृष्टि ३६९ १५ लब्ध्यपर्याप्तकोंमें
अपर्याप्तकोंमें १६ लब्ध्यपर्याप्त
अपर्याप्त १७ अर्थात् उनमें पुन: वापिस अर्थात् अपने विवक्षित गुणस्थानको छोड़कर आनेस,
नवीन गुणस्थानमें जानेसे, ४१७ ३ -परियट्टेसुप्पण्णेसु -परियझेसु पुण्णेसु १५ शेष रहने पर
पूर्ण होने पर २२ उदयमें आये हैं
उपार्जित किये हैं ४४५ ५ -णिरयगदीएण
-णिरयगदीए ण ६ मणुसगदीएण
मणुसगदीए ण ७ तिरिक्खगईएण
तिरिक्खगईए ण ८ देवगदीएण
देवगदीए ण १९, २०, २२, २४ उत्पन्न नहीं उत्पन्न ४६४ २४ अन्तर्मुहूर्तसे........काल अन्तर्मुहूर्तसे अधिक अढाई सागरोपम काल
६५ अढ़ाई सागरोपमकालके आदि विवक्षित पर्यायके आदि ४६८ १२ वर्धमान
शंका-वर्धमान १७ शंका-तेज
तेज १७७ १७ सादि-सान्त
सादि
४१०
४२२
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