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३५०) छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, ८, २८१. खहयसम्मादिट्ठी संखेज्जगुणा ॥ ३८१ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जसमया। वेदगसम्मादिट्ठी असंखेज्जगुणा ॥ ३८२ ॥
को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो, असंखेज्जाणि पलिदोवमस्स पढमवग्गमूलाणि ।
(एवं आहारमग्गणा समत्ता ।) एवमप्पाबहुगाणुगमो त्ति समत्तमणिओगद्दारं ।
अनाहारकोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानमें उपशमसम्यग्दृष्टियोंसे क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीव संख्यातगुणित हैं ॥ ३८१ ॥
गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है ।
अनाहारकोंमें असंयतसम्यग्दृष्टि गुणस्थानमें क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंसे वेदकसम्यग्दृष्टि जीव असंख्यातगुणित हैं ।। ३८२ ॥
गुणकार क्या है ? पल्योपमका असंख्यातवां भाग गुणकार है, जो पल्योपमके भसंख्यात प्रथम वर्गमूलप्रमाण है।
(इस प्रकार आहारमार्गणा समाप्त हुई।) इस प्रकार अल्पबहुत्वानुगम नामक अनुयोगद्वार समाप्त हुआ ।
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