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छक्खंडागमे जीवद्वाणं
[ १, ८, ३०८.
सुकले स्सिएस तिसु अद्धासु उवसमा पवेसणेण तुल्ला थोवा'
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सुगममेदं ।
उवसंतकसायवीदरा गछदुमत्था तत्तिया चेव ॥ ३०९ ॥ कुदो ? चउवण्णपमाणत्तादो । खवा संखेज्जगुणा ॥ ३१० ॥
अङ्कुत्तरसदपरिमाणत्तादो ।
खीण कसायवीदरागछदुमत्था तत्तिया चेव ॥ ३११ ॥ सुगममेदं । सजोगिकेवली पवेसणेण तत्तिया चेव ॥ ३१२ ॥ एदं पि सुगमं । सजोगिकेवली अद्धं पडुच्च संखेज्जगुणा ॥ ३१३ ॥
शुक्लश्यावालों में अपूर्वकरण आदि तीन गुणस्थानोंमें उपशामक जीव प्रवेशकी अपेक्षा तुल्य और अल्प हैं ॥ ३०८ ॥
यह सूत्र सुगम है ।
शुक्कलेश्यावालोंमें उपशान्तकषायवीतरागछद्मस्थ जीव पूर्वोक्त प्रमाण ही हैं ॥ ३०९ ॥
क्योंकि, उनका प्रमाण चौपन है । शुक्कलेश्यावालों में उपशान्तकषायवीतरागछद्मस्थोंसे क्षपक जीव संख्यातगुणित
हैं ॥ ३१० ॥
क्योंकि, उनका परिमाण एक सौ आठ है ।
शुक्लेश्यावालों में क्षीणकषायवीतरागछद्मस्थ जीव पूर्वोक्त प्रमाण ही हैं ॥ ३११ ॥ यह सूत्र सुगम है ।
शुक्ललेश्यावालों में सयोगिकेवली प्रवेशकी अपेक्षा पूर्वोक्त प्रमाण ही हैं ॥ ३१२॥ 'यह सूत्र भी सुगम है । शुक्ललेश्यावालोंमें सयोगिकेवली संचयकालकी अपेक्षा संख्यातगुणित हैं ॥ ३१३ ॥
१ शुक्ललेश्यानां सर्वतः स्तोका उपशमकाः । स. सि. १, ८.
२ क्षपकाः संख्ये यगुणाः । स. सि. १, ८. ३ सयोगकेवलिनः संख्येयगुणाः । स. सि. १, ८.
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