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धवलाका गणितशास्त्र
(२३)
उत्कृष्ट-युक्त असंख्यात ( अ यु उ = अ अज-१. जहां
जघन्य-असंख्यातासंख्यात (अ अ ज ) = (अ यु ज) मध्यम-असंख्यातासंख्यात ( अ म म ) है > अ अ ज, किन्तु < अ अ उ.
उत्कष्ट-असंख्यातासंख्यात (अ अ उ) = अ प ज - १. जहाँ
न प ज जघन्य-परीत-अनन्तका बोधक है । अनन्त- अनन्त श्रेणीकी संख्याएं निम्न प्रकार हैं
जघन्य-परीत-अनन्त( न प ज) निम्न प्रकारसे प्राप्त होता है
care erana contempor} ]
(अअज)
कर
। (अअज)- IS (अअज)। (अअज) ।
(अअज) मानलो ख = क + छह द्रव्य
खख)
मानलो ग = 3(खख)
_
खखा
(खख)
+ ४ राशियों
।
तब
गग
जघन्य-परीत-अनन्त (न पज)=(ग) मध्यम-परीत-अनन्त (न प म ) है > न प ज, किंतु < न प उ उत्कृष्ट-परीत-अनन्त ( न प उ) = न युज – १,
१ छह द्रव्य ये हैं- (१) धर्म, (२) अधर्म, (३)एक जीव, (४) लोकाकाश, (५) अप्रतिष्ठित (वनस्पति जीव:), और ( ६ ) प्रतिष्ठित (वनस्पति जीव).
. २ चार समुदाय ये हैं- (१) एक कल्पकालके समय, (२) लोकाकाशके प्रदेश, (३) अनुभागबंधअध्यवसायस्थान, और (४) योगके अविभाग-प्रतिच्छेद.
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