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१८४] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, ७, १. भावो । तत्थ दव्यभावो दुविहो आगम-णोआगमभेएण । भावपाहुडजाणओ अणुवजुत्तो आगमदव्यभावो होदि । जो णोआगमदव्यभावो सो तिविहो जाणुगसरीर-भवियतव्वदिरित्तभेएण । तत्थ णोआगमजाणुगसरीरदव्यभावो तिविहो भविय-वट्टमाण-समुज्झादभेएण। भावपाहुडपज्जायपरिणदजीवस्स आहारो जं होसदि सरीरं तं भवियं णाम । भावपाहुडपज्जायपरिणदजीवेण जमेगीभूदं सरीरं तं वट्टमाणं णाम । भावपाहुडपज्जाएण परिणदीवेण एगत्तमुवणमिय जं पुधभूदं सरीरं तं समुज्झादं णाम | भावपाहुडपजयसरूवेण जो जीवो परिणमिस्स दि सो णोआगमभवियदव्यभावो णाम | तव्वदिरित्तणोआगमदव्वभावो तिविहो सचित्ताचित्त-मिस्सभेएण । तत्थ सचित्तो जीवदव्यं । अचित्तो पोग्गल-धम्माधम्म-कालागासदव्याणि । पोग्गल-जीवदव्वाणं संजोगो कधंचि जच्चतरत्तमावण्णो णोआगममिस्सदव्वभावो णाम । कधं दव्वस्स भावव्यवएसो ? ण, भवनं भावः, भूतिर्वा भाव इति भावसहस्स विउप्पत्तिअवलंबणादो । जो भावभावो सो दुविहो आगमणोआगमभेएण । भावपाहुडजाणओ उवजुत्तो आगमभावभावो णाम । णोआगमभावभावो पंचविहं ओदइओ ओवसमिओ खइओ खओवसमिओ पारिणामिओ चेदि । तत्थ कम्मोदय
नोआगमके भेदसे दो प्रकारका है। भावप्राभृतज्ञायक किन्तु वर्तमानमें अनुपयुक्त जीव आगमद्रव्यभाव कहलाता है। जो नोआगमद्रव्य भावनिक्षेप है वह शायकशरीर, भव्य और तद्व्यतिरिक्तके भेदसे तीन प्रकार होता है। उनमें नोआगमज्ञायकशरीर द्रव्यभावनिक्षेप भव्य, वर्तमान और समुज्झितके भेदसे तीन प्रकारका है। भावप्राभृतपर्यायसे परिणत जीवका जो शरीर आधार होगा, वह भव्यशरीर है। भावप्राभृतपर्यायसे परिणत जीवके साथ जो एकीभूत शरीर है, वह वर्तमानशरीर है । भावप्राभृतपर्यायसे परि
साथ पकत्वको प्राप्त होकर जो पथक हुआ शरीर है वह समज्झितशरीर है। भावप्र तपर्यायस्वरूपसे जो जीव परिणत होगा, वह नोआगमभव्यद्रव्य भावनिक्षेप है। तव्यतिरिक्त नोआगमद्रव्य भावनिक्षप, सचित्त, अचित्त और मिश्रके भेदसे तीन प्रकारका है। उनमें जीवद्रव्य सचित्तभाव है। पुद्गल, धर्मास्तिकाय, अधर्मास्तिकाय, काल और आकाश द्रव्य अचित्तभाव हैं। कथंचित जात्यन्तर भावको प्राप्त पुद्गल और जीव द्रव्योंका संयोग नोआगममिश्रद्रव्य भावनिक्षेप है।
शंका-द्रब्यके 'भाव' ऐसा व्यपदेश कैसे हो सकता है ?
समाधान-नहीं, क्योंकि, 'भवनं भावः' अथवा 'भूतिर्वा भावः' इस प्रकार भावशब्दकी व्युत्पत्तिके अवलंबनसे द्रव्यके भी 'भाव' ऐसा व्यपदेश बन जाता है।
जो भावनामक भावनिक्षेप है, वह आगम और नोआगमके भेदसे दो प्रकारका है। भाव प्राभृतका शायक और उपयुक्त जीव आगमभावनामक भावनिक्षेप है। नोआगमभाव भावनिक्षेप औदयिक, औपशमिक, क्षायिक, क्षायोपशमिक और पारिणामिकके भेदसे
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