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षट्खंडागमकी प्रस्तावना
वर्गित - संवर्गित
परिभाषिक शब्द वर्गित संवर्गितका प्रयोग किसी संख्याका संख्यातुल्य घात करने के अर्थमें किया गया है ।
उदाहरणार्थ
नका वर्गितसंवर्गितरूप है ।
इस सम्बन्धमें धवला में विरलन -देय 'फैलाना और देना' नामक प्रक्रियाका उल्लेख आया है । किसी संख्याका 'विरलन' करना व फैलाना अर्थात् उस संख्याको एकएक अलग करना है । जैसे, न के विरलनका अर्थ है
-
(८)
..... न वार
१११११ 4 देय' का अर्थ है उपर्युक्त अंकों में प्रत्येक स्थान पर एककी संख्या) को रख देना । फिर उस विरलन देयसे उपलब्ध संख्याओंको उस संख्याका वर्गित संवर्गित प्राप्त हो जाता है, और यही उस संख्याका प्रथम वर्गित संवर्गित कहलाता है । जैसे, न का प्रथम वर्गित संवर्गित नन ।
जगह न ( विवक्षित परस्पर गुणा कर देनेसे
विरलन - देयकी एकवार पुनः प्रक्रिया करनेसे, अर्थात् नन को लेकर वही विधान फिर
न
करनेसे, द्वितीय वर्गित-संवर्गित (नन )
} प्राप्त होता
न का तृतीय वर्गित-संवर्गित { ( मन )
अपेक्षित नहीं हुआ है । किन्तु,
धवलामें उक्त प्रक्रियाका प्रयोग तीन वारसे अधिक तृतीय वर्गितसंवर्गितका उल्लेख अनेकवार' बड़ी संख्याओं व असंख्यात व अनन्तके संबंध में किया गया है । इस प्रक्रिया से कितनी बड़ी संख्या प्राप्त होती है, इसका ज्ञान इस बात से हो सकता है कि २ का तृतीयवार वर्गितसंवर्गित रूप
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हो जाता है ।
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प्राप्त होता है । इसी विधानको पुनः एकवार करने से
नन
(१)
( २ )
( ३ )
१ धवला, भाग ३, पृ: २० आदि.
नन । {(नन )
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घातांक सिद्धान्त
उपर्युक्त कथनसे स्पष्ट है कि धवलाकार घातांक सिद्धान्तसे पूर्णतः परिचित थे । जैसे
अम. अन = अ + न
न
अम / अन = अम
( अम )न = अमन
है ।
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