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विषय
बातकी सिद्धिके लिए वेदनाक्षेत्रविधान में कहे गये अवगाहना-दंडकका अवतरण
क्रम नं.
पर्याप्त
७२ बादरनिगोदप्रतिष्ठित जीवोंके सूत्र में नहीं कहनेका
कारण
पर्याप्त
७४ बादर, सूक्ष्म तथा पर्याप्तक और अपर्याप्तक वनस्पतिकायिक वा निगोद जीवोंके क्षेत्रका निरूपण
७३ बादरवायुकायिक जीवोंके क्षेत्रका निर्णय
७५ मिथ्यादृष्ट्यादि अयोगिकेवल्यन्त सकायिक और त्रसकायिक पर्याप्त जीवोंका क्षेत्र - वर्णन ७६ लब्ध्यपर्याप्तक
सजीवोंका
क्षेत्र - वर्णन
४ योगमार्गणा
७७ मिथ्यादृष्टि गुणस्थान से लेकर सयोगिकेवली गुणस्थान तक पांचों मनोयोगी और पांचों वचनयोगी जीवोंके क्षेत्रका निरूपण
मार
तथा
७८ वैक्रियिकसमुद्धातगत, णान्तिकसमुद्धतिगत, मूच्छित जीवों के मनोयोग और वचनयोग कैसे संभव हैं ? इन शंकाओंका समाधान
७९ काययोगी मिथ्यादृष्टि जीवोंका क्षेत्र
८० सासादन गुणस्थान से
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लेकर
तक के
क्षीणकषायगुणस्थान काययोगी जीवों का क्षेत्र
८१ काययोगी सयोगिकेवलीका क्षेत्र ८२ औदारिककाययोगी मिथ्यादृष्टि जीवों का क्षेत्र
क्षेत्रानुगम-विषय-सूची
पृ. नं. 1 क्रम नं.
९४-९८
९९
33
१०२-१११
१००
१०१
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33
विषय
८३ त्रसपर्याप्त राशिका कितना भाग संचार करता है, इस बातका निरूपण
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१०४
लेकर
| ८४ सासादन गुणस्थानसे सयोगिकेवली तक के औदारिककाययोगी जीवोंका क्षेत्र
""
८५ औदारिकमिश्रकाययोगी मिथ्यादृष्टियों का क्षेत्र
८६ औदारिकमिश्रका वैक्रियिकसमुद्वात आदि पदों के साथ भेद पाये जानेसे सूत्रोक्तं ओघनिर्देश घटित नहीं होता है, इस शंकाका
समाधान
८७ औदारिक
समाधान
१०२ ८९ मिथ्यादृष्टि गुणस्थानसे लेकर असंयतसम्यग्दृष्टि
गुणस्थान वैक्रियिककाययोगी
मिश्रकाययोगी सासादन सम्यग्दृष्टि, असंयतसम्यग्दृष्टि और सयोगिकेवलीका क्षेत्र-निरूपण
तक जीवोंका क्षेत्र
९० वैक्रियिकमिश्रकाययोगी मिथ्यादृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि और असंयत सम्यग्दृष्टि जविका क्षेत्र १०३ ९१ आहारककाययोगी और आहारक मिश्रकाययोगी प्रमत्तसंयतका क्षेत्र
८८ औदारिकमिश्रकाययोगी सासादनसम्यग्दृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि जीवों के उपपाद पद क्यों नहीं कहा, इस शंकाका
| ९२ कार्मणकाययोगी मिथ्यादृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि, असंयतसम्यग्दृष्टि और सयोगि केवलीका क्षेत्र
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पू. नं.
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