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(३१)
क्षेत्रानुगम-विषय-सूची क्रम नं. विषय पृष्ठ नं. क्रम नं.
विषय
पृष्ठ नं. २१ गोम्हिक्षेत्रके निकालनेका विधान २२ शंखक्षेत्रके निकालनेका विधान ३५/ आदेशसे क्षेत्रप्रमाणनिर्देश ५६-१३८ २३ महामत्स्यक्षेत्रके निकालनेका विधान
१ गतिमार्गणा ५६-८१ २४ तिर्यग्लोकका स्वरूप
(नरकगति) ५६-६६ २५ वैक्रियिकसमुद्धातगत मिथ्या
३९ सामान्य नारकियोंका क्षेत्र दृष्टि जीवोंका क्षेत्र निरूपण
४० नारकियोंकी अवगाहना २६ देव अपने अवधिज्ञानके क्षेत्र
४१ प्रथम पृथिवीके तेरहों पटलोंके प्रमाण विक्रिया करते हैं, ऐसा
नारकोंकी ऊंचाई कहनेवाले आचार्योंके कथनका |४२ द्वितीय पृथिवीके ग्यारहों पटनिराकरण
। लोके नारकोंकी ऊंचाई २७ सासादनसम्यग्दृष्टिगुणस्थानसे
४३ तृतीय पृथिवीके नौ पटलोंके लेकर अयोगिकेवली गुणस्थान
नारकोंकी ऊंचाई तक प्रत्येक गुणस्थानवर्ती
४४ चतुर्थ पृथिवीके सातों पटलोंके जीवोंके क्षेत्रका वर्णन
३९-४७ - नारकोंकी ऊंचाई २८ देव, मनुष्य और नारकियोंका
४५ पंचम पृथिवीके पांचों पटलोके उत्सेध क्रमशःदश, नौ और आठ
___ नारकोंकी ऊंचाई तालके प्रमाणसे कहा गया है,
४६ छठी पृथिवीके तीनों पटलोंके इस बातका निरूपण
नारकोंकी ऊंचाई २९ ऊर्ध्वलोक, अधोलोक और
४७ सातवीं पृथिवीके नारकोकी तिर्यग्लोकका प्रमाण-वर्णन
ऊंचाई ३०सूक्ष्मपरिधि निकालनेका करण
४८ नारकियोंके क्षेत्रको निकालने के
लिए अर्थपदका निरूपण ३१ भरत, ऐरावत और विदेह
४९ सातों पृथिवियोंके नारकियोंका सम्बन्धी प्रमत्तसंयतादि संयमी जीवोंकी जघन्य और उत्कृष्ट
क्षेत्रवर्णन अवगाहनाके प्रमाणका निरूपण
तिर्यचगति ६६-७३ ३२ तैजससमुद्धात क्षेत्रका प्रमाण
५० तिर्यंच मिथ्यादृष्टि जीवोका क्षेत्र ३३ सयोगिकेवलीके क्षेत्रका निरूपण ४८५१ सासादनगुणस्थानसे लेकर ३४ दंडसमुद्धातगत केवलीका क्षेत्र
संयतासंयत गुणस्थान तकके ३५ कपाटसमुद्धातगत केवलीका
प्रत्येक गुणस्थानवर्ती तिर्यचौका क्षेत्र
४९ क्षेत्रप्रमाण ३६ प्रतरसमुद्धातगत केवलीका क्षेत्र ५० ५२ पंचेन्द्रियतिर्यंच, पंचेन्द्रिय ३७ लोकके चारों ओर स्थित
तिर्यंचपर्याप्त और पंचेन्द्रिय तीनों वातवलयोंके क्षेत्रफलका
तिर्यंच योनिमती जीवोंका निरूपण
५१-५५ मिथ्यादृष्टि गुणस्थानसे लेकर ३८ लोकपूरणसमुद्धातगत केवलीका
संयतासंयत गुणस्थान तकके क्षेत्र
५६] क्षेत्रका निरूपण
सूत्र
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