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________________ १, ५, २८९.] कालाणुगमे किण्ह-णील-काउलेस्सियकालपरूवणे [४५९ सम्मामिच्छादिट्ठी ओघं ॥२८७ ॥ कुदो ? णाणाजीव पडुच्च जहण्गेण अंतोमुहुत्तं, उक्कस्सेण सगरासीदो असंखेज्जगुणो पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो, एगजीवं पडुच्च जहण्णुकस्सेण अंतोमुहुत्तमिच्चेदेहि तदो भेदाभावा । असंजदसम्मादिट्ठी केवचिरं कालादो होति, णाणाजीवं पडुच्च सव्वद्धा ॥ २८८ ॥ सुगममेदं सुतं । एगजीवं पडुच्च जहण्णेण अंतोमुहुत्तं ॥ २८९ ॥ तं जहा- एगो असंजदसम्मादिट्ठी वड्डमागणीललेस्साए अच्छिदो किण्हलेसं गदो। तत्थ सधजहण्णमंतोमुहुत्तमच्छिय पुणो णीललेस्सामागदो। णीललेस्साए उच्चदे- हायमाणकिण्हलेस्सिओ णीललेस्सी जादो। ताए सबजहण्णमंतोमुहुत्तमच्छिय काउलेस्सं गदो । काउलेस्साए उच्चदे- एगो सम्मादिट्ठी हायमाणणीललेस्सिओ काललेस्सं गदो । तत्थ उक्त तीनों अशुभ लेश्यावाले सम्यग्मियादृष्टि जीवोंका काल ओघके समान है ॥ २८७॥ क्योंकि, नाना जीवोंकी अपेक्षा जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट काल अपनी राशिसे असंण्यातगुणा पल्योपमका असंख्यातवां भाग है। एक जीवकी अपेक्षा जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है, इस प्रकार इनका ओघकालसे कोई भेद नहीं है। उक्त तीनों अशुम लेश्यावाले असंयतसम्यग्दृष्टि जीव कितने काल तक होते हैं ? नाना जीवोंकी अपेक्षा सर्वकाल होते हैं ॥ २८८ ॥ यह सूत्र सुगम है। एक जीवकी अपेक्षा उक्त जीवोंका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है ॥ २८९ ।। जैसे- वर्धमान नीललेश्यामें विद्यमान कोई एक असंयतसम्यग्दृष्टि जीव कृष्णलेश्याको प्राप्त हुआ। वहां पर सर्वजघन्य अन्तर्मुहूर्त काल रह करके पुनः नीललेश्यामें आगया। अब नीललेश्याका काल कहते हैं- हायमान कृष्णलेश्यावाला कोई एक जीव नीललेश्यावाला होगया। उस लेश्यामें सर्वजघन्य अन्तर्मुहूर्त काल तक रहकर कापोत. लेझ्याको प्राप्त होगया। अब कापोतलेश्याका काल कहते हैं- हायमान नीललेश्यावाला १ असंयतसम्यग्दृष्टे नाजीवापेक्षया सर्वः कालः । स. सि. १, ८. २ एकजीवं प्रति जघन्येनान्तर्मुहूर्तः । स. सि. १,८. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001398
Book TitleShatkhandagama Pustak 04
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1942
Total Pages646
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size14 MB
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