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१, ४, २२.] फोसणाणुगमे णेरड्यफोसणपरूवणं
[१९१ सहस्सेहि ऊणा फोसिदा । ण केवलं हेडिल्लजोयणेहि चेत्र ऊणा, किंतु अण्णो वि देसो लोगणालीए अब्भतरे णेरइएहि अच्छुत्तो अस्थि । तं कथं णव्यदे ? 'विदियाए पुढवीए एगो चोद्दसभागो देसूणो' इदि सुत्तवयणादो । अण्णहा एदस्स देमूणतं पिंडिदूण सं पुण्णो एगो चोद्दसभागो होज्ज, चित्ताए जोयणसहस्सपवेसादों। एत्थ पुगो केण खेत्तेणूणो एगो चोद्दसभागो त्ति वुत्ते वुच्चदे-गिरयगइपाओग्गाणुपुद्धि-पंचिंदियतिरिक्खगइपाओग्गाणुपुबीहि पडिबद्धखेत्तं मोत्तूण अण्णवेत्तेणूगो । वादरुद्धसव्यखेत्तेणूगत्तं किण्ण बुच्चदे ? ण, तत्थ वि आणुपुविविवागपाओग्गखेत्ताणं संभवं पडि विरोहाभावादो ।
सासणसम्मादिहि-सम्मामिच्छादिट्ठि-असंजदसम्मादिट्टीहि केवडियं खेत्तं फोसिदं, लोगस्स असंखेज्जदिभागों ॥२२॥
हजार योजनसे कम और अधस्तन चार पृथिवियोंसम्बन्धी चार हजार योजनोंसे कम छह बटे चौदह () भाग प्रमाण क्षेत्र स्पर्श किया है। यहां पर केवल पृथिवियोंके अधस्तन एक एक हत्तार योजनोंसे ही कम क्षेत्र नहीं समझना, किन्तु अन्य भी देश (क्षेत्र ) लोकनालीके भीतर नारकियोंसे अच्छता ( अस्पृष्ट) है।
शंका--यह कैसे जाना ?
समाधान-'द्वितीय पृथिवीका स्पर्शल देशोन एक वटे चौदह भाग है ' इस सूत्र वचनसे उक्त बात जानी जाती है। यदि ऐसा न माना जाप, तो इस पृथिवीका देशो न क्षेत्र पिंडित अर्थात् एकत्रित होकर सम्पूर्ण एक बटे चौदह (१४) भाग हो जायगा, क्योंकि चित्रा पृथिवीका एक हजार योजन उस एक राजुमें ही प्रविष्ट है।
शंका - यहां पर एक बटे चौदह भाग किस क्षेत्रसे कम कहा है ?
समाधान-ऐसी आशंका करनेपर उत्तर देते हैं कि नरकगतिप्रायोग्यानुपूर्वी और पंचेन्द्रियतिर्यग्गतिप्रायोग्य नुपूर्वी, इन दोनोंसे प्रतिबद्ध क्षेत्रको छोड़कर अन्य शेष क्षेत्रसे कम कहा है।
शंका-वायुसे रुके हुए सर्वक्षेत्रसे कम उक्त क्षेत्र त्रयों नहीं कहे ?
समाधान -नहीं, क्योंकि, वहां पर भी आनुपूर्वीनामकर्मके विपाकके प्रायोग्यक्षेत्रके संभव होने में कोई विरोध नहीं है।
सातवीं पृथिवीके सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्या दृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि नारकियोंने कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ? लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ॥२२॥
१म प्रतौ पवेहदो ' इति पाठः। २ शेषैस्विमिलौकस्यासंख्येयभागः । स. सि. १,८.
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