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परिशिष्ट पृष्ठ पंक्ति पाठ है।
पाठ चाहिये। ४२७ ४ देवगदिअद्धाणं
देवगदिकसाइअद्धाणं ४३० ६ मूलो उवसंतकसायरासी मूलोधुवसंतकसायरासी ४३६१०-११ दुविदणाणविरहिय
दुविहण्णाणविरहिय४३६ २८ दोनों प्रकारके ज्ञानोंसे दोनों प्रकारके अज्ञानोंसे ४४० ३ चेव
तम्हि चेव ४४२ १ लद्धिसंपण्णरासीणं
लद्धिसंपण्णरिसीणं ,, १२ राशियां बहुत नहीं हो सकती हैं । ऋषि बहुत नहीं हो सकते हैं । ४४२ ६ सेसमसंखेज्जखंडे
सेसमणंतखंडे , २० असंख्यात खंड
अनन्त खंड ४४४ २ मदि सुदअण्णाणीसु
मदि-सुदअण्णाणमिच्छाइट्ठीसु , १४ -ज्ञानी जीवोंमें
ज्ञानी मिथ्यादृष्टि जीवोंमें ४४५ ९ विसेसाहिया २८ ।
विसेसाहिया २८ । आभिणि-सुदणाणिउवसामगा
संखेज्जगुणा । खवगा संखेज्जगुणा। , २५ अहाईस हैं । मनःपर्ययज्ञानी अप्रम- अट्ठाईस हैं । आभिनिबोधिक और श्रुतज्ञानी उप. त्तसंयत जीव अवधिज्ञानी क्षपकोंसे शामक जीव अवधिज्ञानी क्षपकोंसे संख्यातगुणे
हैं। मतिज्ञानी और श्रुतज्ञानी क्षपक जीव उक्त उपशामकोंसे संख्यातगुणे हैं। मनःपर्ययज्ञानी
अप्रमत्तसंयत जीव उक्त क्षपकोंसे ४०६ ३ दुणाणिअसंजद
आभिणिणाणि-सुदणाणिअप्पमत्तसंजदा संखज्जगुणा। तत्थेव पमत्तसंजदा संखेज्जगुणा।
दुणाणि असंजद, १६ अवधिज्ञानी प्रमत्तसंयतोंसे
अवधिज्ञानी प्रमत्तसंयतोंसे आमिनिबोधिक और श्रुतज्ञानी अप्रमत्तसंयत जीव संख्यातगुणे हैं । इन्हीं दो ज्ञानोंमें प्रमत्तसंयत जीव उक्त अप्रमत्त.
संयतोंसे संख्यातगुणे हैं । इनसे ४५४ ३ चक्खुदंसणहिदीए
चक्खुदंसणमिच्छाइटिटिदीए " १५ चक्षुदर्शनकी
चक्षुदर्शनी मिथ्यादृष्टियोंकी , ३ असंखेज्जदिभाए चक्खिदियपडि- असंते चक्खिदियपडिघादे
भागे
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