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मूडबिद्रीकी ताड़पत्रीय प्रतियों के मिलान
(२७) पृष्ठ पंक्ति पाठ है।
पाठ चाहिये । २०८ २२ असंख्यात खंड
संख्यात खंड २०८ ८ संखेज्जेसु
असंखेज्जेसु , २३ संख्यात खंड
असंख्यात खंड २१५ ६ ओघपडिवण्णेहि
ओघगुणपडिवण्णेहि २३२ ३ भवणादियाणं
भवणादियाणं देवाणं २७१ २ पडिसेहढें ।
पडिसेहटुं । पदरस्स असंखेज्जदिभागो ते मि
च्छाइट्टी होति त्ति उत्तं । , १४ कहा है।
कहा है । भवनवासी मिथ्यादृष्टि देव जगप्रतरके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं, यह इस कथनका
तात्पर्य है। २७५ ६ ओघपरूवणाए
देवओघपरूवणाए २७६ १दव्वमिच्छाइदिरासिं
देवमिच्छाइट्ठिरासिं २८३ १० असंखेज्जगुणा
संखेज्जगुणा " २७ हुए भी वे असंख्यातगुणे हुए भी वे संख्यातगुणे २८६ ४ सयदेवरासिमसंखेज्जखंडे सब्वदेवरासिं संखेज्जखंडे , १५ असंख्यात खंड
संख्यात खंड २९५ ६सेसमसंखेज्जखंडे
सेसं संखेज्जखंडे , २२ असंख्यात खंड
संख्यात खंड २९८ १० भवणवासियदेवि त्ति
भवणवासियदेवेत्ति " २९ देवियोंके
देवोंके ३६१ ११ उपरिम-हेटिमसंखेज्जपियप्पा उपरिमहेट्टिमसव्वे वियप्पा " २५ असख्यात विकल्प
सर्व विकल्प ३८१ १२त्ति
वेत्ति ३९८ ५रासी
रासी सो ४०४ ६-कायजोगरासीओ
-कायजोगरासी होदि ४९४ ९इस्थिवेदअवहारकालस्स भागहारो इत्थिवेदअवहारकालो ४१९ ६ उवसामगा केवडिया, पवेसेण उवसामगा व्यपमाणेण केवडिया, पवेसणेण , १९ जाव कितने हैं ?
जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं? ४२६ ६ भागभागहाररासिम्हि -भागधुवरासिम्हि , २१ चौथे भागकी भागहार राशिमें चौथे भागरूप ध्रुवराशिमें
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