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________________ १, २, १४०.] दव्वपमाणाणुगमे कसायमग्गणाअप्पाबहुगपरूवर्ण [४३५ साहिया। मायकसायअप्पमत्तसंजदा विसेसाहिया। लोभकसायअप्पमत्तसजदा विसेसाहिया। माणकसायपमत्तसंजदा विसेसाहिया। कोधकसायपमत्तसंजदा विसेसाहिया। मायकसायपमत्तसंजदा विसेसाहिया । लोभकसायपमत्तसंजदा विसेसाहिया । लोभकसायअसंजदसम्माइटिअवहारकालो असंखेज्जगुणो। मायकसायअसंजदसम्माइडिअवहारकालो संखेज्जगुणो । माणकसायअसंजदसम्माइट्ठिअवहारकालो संखेज्जगुणो। कोधकसायअसंजदसम्माइट्ठिअवहारकालो संखेज्जगुणो । लोभकसायसम्मामिच्छाइटिअवहारकालो असंखेज्जगुणो । मायकसायसम्मामिच्छाइडिअवहारकालो संखेज्जगुणो । माणकसायसम्मामिच्छाइट्ठिअवहारकालो संखेज्जगुणो । कोधकसायसम्मामिच्छाइटिअवहारकालो संखेज्जगुणो। लोभकसायसासणसम्माइट्ठिअवहारकालो संखेज्जगुणो। मायकसायसासणसम्माइटिअवहारकालो संखेजगुणो । (माणकसायसासणसम्माइट्ठिअवहारकालो संखेज्जगुणो।) कोधकसायसासणसम्माइटिअवहारकालो संखेज्जगुणो । लोभकसायसंजदासंजदअवहारकालो असंखेज्जगुणो। जीव मानकषाय अप्रमत्तोंसे विशेष अधिक हैं। मायाकषाय भप्रमत्तसंयत जीव क्रोधकषाय अप्रमत्तोंसे विशेष अधिक हैं । लोभकषाय अप्रमत्तसंयत जीव मायाकषाय अप्रमत्तोंसे विशेष अधिक हैं। मानकषाय प्रमत्तसंयत जीव लोभकषाय अप्रमत्तोंसे विशेष अधिक है। क्रोधकषाय प्रमत्तसंयत जीव मानकषाय प्रमत्तोंसे विशेष अधिक हैं। मायाकषाय प्रमत्तसंयत जीव क्रोधकषाय प्रमत्तोंसे विशेष अधिक है। लोभकषाय प्रमत्तसंयत जीव मायाकषाय प्रमत्तोंसे विशेष अधिक हैं। लोभकषाय असंयतसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल लोभकषाय प्रमत्तोंसे असंख्यातगुणा है। मायाकषाय असंयतसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल ले असंयतसम्यग्दृष्टि अपहारकालसे संख्यातगुणा है । मानकषाय असंयतसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल मायाकषाय असंयतसम्यग्दृष्टि अवहारकालसे संख्यातगुणा है। क्रोधकषायी असंयतसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल मानकषाय असंयतसम्यग्दृष्टि अवहारकालसे संख्यात. गुणा है । लोभकषाय सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंका अवहारकाल मानकषाय असंयतसम्यग्दृष्टि अवहारकालसे असंख्यातगुणा है। मायाकषाय सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंका अवहारकाल लोभकषाय सम्यग्मिथ्यादृष्टि अवहारकालसे संख्यातगुणा है। मानकषायी सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंका अवहारकाल मायाकषाय सम्यग्मिथ्यादृष्टि अवहारकालसे संख्यातगुणा है। क्रोधकषाय सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंका अपहारकाल मानकषाय सम्यग्मिथ्यादृष्टि अवहारकालसे संख्यातगुणा है । लोभकषाय सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल क्रोधकषाय सम्यग्मिथ्याटि अवहारकालसे संख्यातगुणा है। मायाकषाय सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल लोभकषाय सासादनसम्यग्दृष्टि अवहारकालसे संख्यातगुणा है। मानकषाय सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल मायाकषाय सासादनसम्यग्दृष्टि अवहारकालले संख्यातगुणा है। क्रोधकषाय सासादनसम्यग्दृष्टियोंका अवहारकाल मानकषाय सासादनसम्यग्दृष्टि अवहारकालसे संख्यातगुणा है । लोभकषाय संयतासंयतोंका अवहारकाल कोधकषाय सासादनसम्यग्दृष्टि अवहारकालसे असंख्यात. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001397
Book TitleShatkhandagama Pustak 03
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1941
Total Pages626
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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