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________________ ४१२ ] छक्खंडागमे जीवद्वाणं [ १, २, १२३. अवहारकालो संखेज्जगुणो । एवं सच्चमोसव चिजोगि-मोसवचिजोगि-सच्चवचिजोगिमणजोगीण अवहारकाला' संखेज्जगुणा । असच्चमो समणजोगीणं अवहारकालो विसेसाहिओ । सच्चमोसमणजोगिअवहारकाला संखेज्जगुणो । एवं मोसमणजोगि सच्चमणजोगि वेउब्वियमिस्सकायजोगीणं अवहारकाला संखेज्जगुणा । तस्सेव विक्खंभसूई असंखेज्जगुणा । सच्चमणजोगिविक्खंभसूई संखेज्जगुणा । एवं मोसमणजोगि- सच्चमो समणजोगि-असच्चमोसमणजोगीणं । तदो मणजोगिविक्खंभसूई विसेसाहिया । सच्चवचिजोगिविक्खंभसूई संखेज्जगुणा । एवं मोसवचिजोगि - ( सच्चमो सवचिजोगि ) - वेउच्वियकायजोगि. असच्चमोसवचिजोगिविक्खंभसूचीओ संखेज्जगुणाओ । वचिजोगिविक्खंभसूई विसेसाहिया । सेढी असंखेज्जगुणा । तदो वेउव्विय मिस्स कायजोगि मिच्छाइट्ठिदव्यमसंखेजगुणं । सच्चमणजोगिदव्वं संखेज्जगुणं । एवं मोसमणजोगि- सच्च मोसमणजोगि- असच्चमोसमणजोगिदव्वाणि जहाकमेण संखेज्जगुणाणि । मणजोगिदव्वं विसेसाहियं । सच्चवचिजोगिदव्वं अवहारकाल अनुभयवचनयोगियोंके अवहारकालसे संख्यातगुणा है । इसीप्रकार उभयवचनयोगी, मृषावचनयोगी और सत्यवचनयोगी जीवोंका अवहारकाल उत्तरोत्तर संख्यातगुणा है । अनुभयमनोयोगियोंका अघहारकाल सत्यवचनयोगियोंके अवहारकालसे विशेष अधिक है । उभयमनोयोगियोंका अवहारकाल अनुभयमनोयोगियोंके अवहारकालसे संख्यातगुणा है । इसीप्रकार असत्यमनोयोगी, सत्यमनोयोगी और वैक्रियिकमिश्रकाययोगियोंका अवहारकाल उत्तरोत्तर संख्यातगुणा है । उन्हींकी अर्थात् वैक्रियिकमिश्रकाययोगियोंकी विष्कंभसूची उन्हीं के अवहारकालसे असंख्यातगुणी है । सत्यमनोयोगियोंकी विष्कंभसूची वैक्रियिकमिश्रकाययोगि योंकी विष्कंभसूचीसे संख्यातगुणी है । इसीप्रकार मृषामनोयोगी, उभयमनोयोगी और अनुभयमनोयोगियोंकी विष्कंभसूची भी समझना चाहिये । अनुभयमनोयोगियोंकी विष्कंभसूची से मनो. योगियों की विष्कंभसूची विशेष अधिक है । सत्यवचनयोगियोंकी विष्कंभसूची मनोयोगियों की विष्कंभसूची से संख्यातगुणी है । इसीप्रकार मृषावचनयोगी, उभयवचनयोगी, वैक्रियिककाययोगी और अनुभवचनयोगियोंकी विष्कंभसूचीयां भी उत्तरोत्तर संख्यातगुणी हैं । वचनयोगियोंकी विष्कंभसूची अनुभयवचनयोगियोंकी विष्कंभसूचीसे विशेष अधिक है । जगश्रेणी वचनयोगियोंकी विष्कंभसूचीसे असंख्यातगुणी है । जगश्रेणीसे वैक्रियिक मिश्रकाय योगियोंका द्रव्य असंख्यातगुणा है । सत्यमनोयोगियोंका द्रव्य वैक्रियिकमिश्रकाययोगियों के द्रव्य से संख्यातगुणा है । इसीप्रकार मृषामनोयोगी, उभयमनोयोगी, अनुभयमनोयोगियोंका द्रव्य यथाक्रमले संख्यातगुणा है | मनोयोगियों का द्रव्य अनुभय मनोयोगियों के द्रव्यसे विशेष अधिक है । सत्यवचनयोगियोंका १ प्रतिषु ' अवहारकालमेतेण ' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001397
Book TitleShatkhandagama Pustak 03
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1941
Total Pages626
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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