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१०६] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[ १, २, १२३. जोगिसम्मामिच्छाइद्विरासी होदि । सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा असच्चमोसमणजोगिसम्मामिच्छाइद्विरासी होदि। सेसं संखेन्जखंडे कए बहुखंडा सच्चमोसमणजोगिसम्मामिच्छाइद्विरासी होदि सेसं संखेञ्जखंडे कए बहुखंडा मोसमणजोगिसम्मामिच्छाइद्विरासी होदि। सेस संखेज्जखंडे कए बहुखंडा सच्चमणजोगिसम्मामिच्छाइद्विरासी होदि । ओघसासणरासीदो ओघसम्मामिच्छाइट्ठिरासी संखेजगुणो त्ति सुत्तसिद्धो । सिपहि ओघसम्मामिच्छाइट्ठिरासिस्स संखेजदिभागो सच्चमणजेगिसम्मामिच्छाइद्विरासी कधं ओघसासणरासीदो संखेज्जगुणो होदि ति उत्ते वुच्चदे- जोगद्धागुणगारादो' सम्मामिच्छाइट्ठिरासिं पडि सासणसम्माइद्विरासिस्स गुणगारो बहुगो, तेण सच्चमणजोगिसम्मामिच्छाइद्विरासी सेसस्स संखज्ज. भागों । तं कधं णव्वदे सुत्तेण विणा ? पत्थि सुत्तं वक्खाणं वा, किंतु आइरियवयणमेव केवलमत्थि ) सेसं संखेज्जखंडे कए बहुखंडा वेउब्धियकायजोगिसासणसम्माइद्विरासी होदि । सेस संखेज्जखंडे कए बहुखंडा असच्चमोसवचिजोगिसासणसम्माइद्विरासी होदि ।
बहुभाग सत्यवचनयोगी सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग अनुभय मनोयोगी सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग उभयमनोयोगी सस्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग मृषामनोयोगी सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खंड करने पर बहुभाग सत्यमनोयोगी सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशि है। ओघ सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिसे ओघ सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशि संख्यातगुणी है, यह सूत्र सिद्ध है। अब ओघ सम्यग्मिथ्यादृष्टि राशिके संख्यातवें भागप्रमाण सत्यमनोयोगी सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशि ओघ सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिसे संख्यातगुणी कैसे है, आगे इसी विषयके पूछने पर कहते हैं-योगकाल के गुणकारसे सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशिकी अपेक्षा सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशिका गुणकार बहुत है, इसलिये सत्यमनोयोगी सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशि भागाभागमें मृषामनोयोगी सम्यग्मिध्यादष्टिका प्रमाण आनेके अनन्तर जो एक भाग शेष रहता है उसका संख्यातवां भाग है।
शंका-सूत्रके विना यह कैसे जाना जाता है ?
समाधान-यद्यपि इस विषयमें सूत्र या व्याख्यान नहीं पाया जाता है, किंतु आचा. पोके वचन ही केवल पाये जाते हैं, जिससे यह कथन जाना जाता है।
सत्यमनोयोगी सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवराशिके अनन्तर जो एक भाग शेष रहे उसके संख्यात खंड करने पर बहुभाग वैक्रियिककाययोगी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि है। शेष एक भागके संख्यात खेड करने पर बहुभाग अनुभववचनयोगी सासादनसम्यग्दृष्टि जीवराशि
१ आ प्रती 'जोगवाए गुण-' इति पाठः। १ प्रतिषु ' संखेम्जा भागो' इति पाठः ।
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