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१, २, २२.]
दव्वपमाणाणुगमे णिरयगदिपमाणपरूवणं
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पृथिवीका द्रव्य लाते समय तीसरेसे लेकर छठे तक चार वर्गमूलोंका परस्पर गुणा करनेसे जो जो राशि उत्पन्न हो उस उससे पांचवी पृथिवीके द्रव्यके भाजित करने पर क्रमशः छठी और सातवीं पृथिवीका मिथ्यादृष्टि द्रव्य आता है। छठी पृथिवीकी अपेक्षा सातवीं पृथिवीका द्रव्य लाते समय तीसरे वर्गमूलसे छठी पृथिवीके द्रव्यके भाजित करने पर सातवीं पृथिवीका द्रव्य आता है। चौथी, पांचवी, छठी और सातवीं पृथिवीकी अपेक्षा तीसरी पृथिवीका द्रव्य लाते समय चौथीकी अपेक्षा नौवें और दशवें वर्गमूलका, पांचवीकी अपेक्षा सातवेंसे लेकर दश तक चार वर्गमूलोंका, छठीकी अपेक्षा चौथेसे लेकर दशवेंतक सात वर्गमूलोंका और सातवींकी अपेक्षा तीसरेसे लेकर दशतक आठ वर्गमूलोंका परस्पर गुणा करनेसे जो जो राशि उत्पन्न हो उस उससे चौथी, पांचवी, छठी और सातवींके द्रव्यके गुणित कर देने पर क्रमशः चौथी, पांचवी, छठी और सातवीं पृथिवीकी अपेक्षा तीसरी पृथिवीका द्रव्य आता है। पांचवी, छठी और सातवीं पृथिवीकी अपेक्षा चौथी पृथिवीका द्रव्य लाते समय पांचवीकी अपेक्षा सातवें और आठवें वर्गमूलोंका, छठीकी अपेक्षा चौथेसे लेकर आठवें तक पांच वर्गमूलोंका, सातवींकी अपेक्षा तीसरेसे लेकर आठवेंतक छह वर्गमूलोंका परस्पर गुणा करके जो जो राशि आवे उस उससे पांचवी, छठी और सातवीं पृथिवीके द्रव्यके गुणित करने पर क्रमशः पांचवी, छठी और सातवीं पृथिवीके मिथ्यादृष्टि द्रव्यकी अपेक्षा चौथी पृथिवीका मिथ्यादृष्टि द्रव्य आता है। छठी और सातवीं पृथिवीकी अपेक्षा पांचवी पृथिवीका द्रव्य लाते समय छठीकी अपेक्षा चौथेसे लेकर छठेतक तीन वर्गमूलोंका और सातवींकी अपेक्षा तीसरेसे लेकर छठेतक चार वर्गमूलोंका परस्पर गुणा करके जो जो राशि आवे उस उससे छठी और सातवीं पृथिवीके मिथ्यादृष्टि द्रव्यके गुणित करने पर क्रमशः छठी और सातवीं पृथिवीकी अपेक्षा पांचवी पृथिवीका मिथ्याटष्टि द्रव्य आता है। तथा सातवीं पृथिवीके द्रव्यको तीसरे वर्गमूलसे गुणित करने पर सातवीं पृथिवीके मिथ्यादृष्टि द्रव्यकी अपेक्षा छठी पृथिवीका मिथ्यादृष्टि द्रव्य आता है। पहले जहां ऊपरकी पृथिवियोंसे नीचेकी पृथिवियोंका द्रव्य उत्पन्न करते समय जो जो भागहार कह आये हैं उस उसके अर्धच्छेद करके तत्प्रमाण भाज्य राशिके आधे आधे करने पर भी नीचेकी पृथिवियोंका द्रव्य आ जाता है। अथवा, अर्धच्छेदप्रमाण दो रखकर उनके परस्पर गुणा करनेसे जो राशि आवे उसका भाज्य राशिमें भाग देने पर भी नीचेकी पृथिवियोंका द्रव्य आ जाता है। उसीप्रकार नीचेकी पृथिवियोंसे ऊपरकी पृथिवियोंका द्रव्य लाते समय जहां जो गुणकार हो उसके अर्धच्छेदोंका जितना प्रमाण हो उतनीवार गुण्य राशिके दूने दूने करने पर ऊपरकी पृथिवियोंका द्रव्य आता है। अथवा उक्त अर्धच्छेदप्रमाण दो रखकर उनके परस्पर गुणा करनेसे जो राशि हो उससे गुण्य राशिके गुणित कर देने पर भी ऊपरकी पृथिवियोंका द्रव्य आ जाता है। इसप्रकार ये कुल भंग १०८ हुए इनमें दूसरी पृथिवीके १८ भंग मिला देने पर सातों पृथिवियोंके द्रव्य निकालनेके १२६ भंग होते हैं।
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