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१९८ ] छक्खंडागमे जीवाणं
[ १, २, २०. १२८, दव्वं ५१२ । विदियादिछप्पुढविमिच्छाइट्ठिदव्वसमूहो ३२२५६ । ।
विदियादि जाव सत्तमाए पुढवीए णेरइएसु मिच्छाइट्ठी दव्वपमाणेण केवडिया, असंखेज्जा ॥ २० ॥
पदस्स सुत्तस्स आदेसोघदव्यपरूवयसुत्तस्सेव वक्खाणं कायव्वं ।
असंखेज्जासंखेनाहि ओसप्पिणिउस्सप्पिणीहि अवहिरंति कालेण ॥२१॥
एदस्स वि सुत्तस्स आदेसोधकालपमाणपरूवयसुत्तस्सेव वक्खाणं कायव्यं । एदाओ दबकालपरूवणाओ थूलाओ। कुदो ? सोदाराणं णिण्णयाणुप्पायणादो । दबपरूवणादो कालपरूवणा सुहुमा, असंखेज्जासंखेजसंखाविससिददव्वणिरूवणादो। इदाणिं दव्वकालपरूवणाहितो सुहुमखेत्तपरूवणहूँ सुत्तमाह
द्रव्य ५१२ है । दूसरी पृथिवीसे लेकर सातवीं पृथिवीतक छह पृथिवियोंके मिथ्यादृष्टि द्रव्यका समूह ३२२५६ है।
दूसरी पृथिवीसे लेकर सातवीं पृथिवीतक प्रत्येक पृथिवीमें नारकियोंमें मिथ्यादृष्टि जीव द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा कितने हैं ? असंख्यात हैं ॥ २० ॥
___ आदेशसे सामान्य नारक मिथ्यादृष्टि द्रव्यका प्ररूपण करनेवाले सूत्रके व्याख्यानके समान इस सूत्रका व्याख्यान करना चाहिये।
कालप्रमाणकी अपेक्षा दूसरी पृथिवीसे लेकर सातवीं पृथिवीतक प्रत्येक पृथिवीके नारक मिथ्यादृष्टि जीव असंख्यातासंख्यात अपसर्पिणियों और उत्सर्विणियोंके द्वारा अपहृत होते हैं ॥ २१ ॥
आदेशसे सामान्य नारक मिथ्यादृष्टि द्रव्यका प्ररूपण करनेवाले सूत्रके व्याख्यानके समान इस सूत्रका भी व्याख्यान करना चाहिये। यहां यह जो द्रव्यप्रमाणकी अपेक्षा और कालप्रमाणकी अपेक्षा द्वितीयादि छह पृथिवियोंकी मिथ्यादृष्टि जीवराशिकी प्ररूपणा की है यह स्थूल है, क्योंकि, श्रोताओं को इस प्ररूपणासे निर्णय नहीं हो सकता है। फिर भी द्रव्य प्ररूपणासे कालप्ररूपणा सूक्ष्म है, क्योंकि, कालप्ररूपणाके द्वारा असंख्यातासंख्यात संख्या विशिष्ट द्रव्यका प्ररूपण किया गया है। अब द्रव्य और काल इन दोनों ही प्ररूपणाओंसे सूक्ष्म क्षेत्रप्रमाणके प्ररूपण करनेके लिये आगेका सूत्र कहते हैं
१प्रतिषु । ५०१' इति पाठः।
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