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१, २, १९.] दव्वपमाणाणुगमे णिरयगदिपमाणपरूवणं
[ १९७ हारकालो होदि । एवं विहाणेणुप्पण्णपक्खेवअवहारकालं सामण्णवहारकालम्हि पक्खित्ते पढमपुढविमिच्छाइडिअवहारकालो होदि । एदमत्थपदमवहारिय अण्णत्थ वि डहररासिपमाणेण महल्लरासीओ काऊण पक्खेवअवहारकालो साधेयव्यो । एत्थ णिरयगईए संदिट्ठी६५५३६ एदं जगसेढिपमाणं । एदं पि जगपदरपमाणं ४२९४९६७२१६ । सामण्णणेरइयमिच्छाइट्ठिविक्खंभसूई एसा २ । सामण्णअवहारकालो ३२७६८ । दव्वं १३१०७२ । पक्खेवअवहारकालो २०६५३८४ । पढमपुढविमिच्छाइट्टिअवहारकालो ८३६६६०८ । लद्धपमाणं ९८८१६ । विदियपुढविमिच्छाइट्ठिअवहारकालो ४, दव्यं १६३८४ । तदियपुढविमिच्छाइटिअवहारकालो (८, दव्यं ८१२२ । चउत्थपुढविमिच्छाइटिअवहारकालो) १६, दव्वं ४०९६ । पंचमढविमिच्छाइटिअवहारकालो ३२, दव्वं २०४८ । छट्टमपुढविमिच्छाइट्ठिअवहारकालो ६४, दव्यं १०२४। सत्तमपुढविमिच्छाइहिअवहारकालो
इस विधिसे जो प्रक्षेप अवहार काल उत्पन्न हो उसे सामान्य अवहारकालमें मिला देने पर प्रथम पृथिवीके मिथ्यादृष्टियोंका अपहारकाल होता है। उदाहरण_३२७६८.६५५३६.१३१०७२ ..२६२१४४.५२४२८८ १०४८५७६
१९३ ' १९३ - १९३ १९३ - १९३ १९३
२०६४३८४ प्र. अ. का.
३२७६८ + २०६४
. २०६४३८४ - ८३८८६०८ प्र. पृ. का. अव. इसप्रकार इस अर्थपदका अवधारण करके अन्यत्र भी बड़ी राशिको छोटी राशिके प्रमाणसे करके प्रक्षेप अवहारकाल साध लेना चाहिये। अब यहां नरकगतिकी संदृष्टि दी जाती है
६५५३६ जगश्रेणीका प्रमाण है। ४२९४९६७२९६ यह जगप्रतरका प्रमाण है । सामान्य नारक मिथ्यादृष्टि विष्कंभसूचीका प्रमाण २ है। सामान्य नारक मिथ्यादृष्टि अवहारकालका प्रमाण ३२७६८ है। सामान्य नारक मिथ्यादृष्टि द्रव्य १३१०७२ है। प्रक्षेप अवहारकाल २०६१३८४ है। प्रथम पृथिवीका मिथ्यादृष्टि द्रव्यसंबन्धी अवहारकाल ८३१६६०८ है । प्रथम पृथिवीमें लब्धराशि मिथ्यादृष्टि राशिका प्रमाण ९८८१६ है। दूसरी पृथिवीका मिथ्यादृष्टि अपहारकाल ४ और द्रब्य १६३८४ है। तीसरी पृथिवीका मिथ्यादृष्टि अवहारकाल ८ और द्रव्य ८१९२ है। चौथी पृथिवीका मिथ्यादृष्टि अवहारकाल १६ और द्रव्य ४०९६ है। पांचवी पृथिवीका मिथ्यादृष्टि अवहारकाल ३२ और द्रव्य २०४८ है। छठी पृथिवीका मिथ्यादृष्टि भवहारकाल ६४ और द्रव्य १०२४ है। सातवीं पृथिवीका मिथ्यादृष्टि अघहारकाल १२८ और
१ प्रतिघु एसा १२।' इति पाठः ।
२ कोष्ठकान्तर्गतपाठः प्रतिषु नास्ति ।
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