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१, २, १७.] दव्वपमाणाणुगमे णिरयगदिपमाणपरूवणं
[१५५ अद्धच्छेदणयमेते रासिस्स अद्धच्छेदणए कदे वि मिच्छाइद्विरासी आगच्छदि । एत्थ अद्धच्छेदणयमेलावणविहाणं पुव्वं व वत्तव्यं । एवं संखेज्जासंखेज्जाणतेसु णेयव्वं । अहरूव. परूवणा गदा। घणाघणे वत्तइस्सामो। अवहारकालगुणिदजगपदरउवरिमवग्गेण घणलोगउवरिमवग्गे भागे हिदे मिच्छाइद्विरासी आगच्छदि । केण कारणेण ? जगपदरउपरिमवग्गेण घणलोगुवरिमवग्गे भागे हिदे जगपदरमागच्छदि। पुणो वि अवहारकालेण जगपदरे भागे हिदे मिच्छाइट्ठिरासी आगच्छदि । तस्स भागहारस्स अद्धच्छेदणयमेत्ते रासिस्स अद्धच्छेदणए कदे वि मिच्छाइहिरासी आगच्छदि । एत्थ अद्धच्छेदणयमेलावण. विहाणं पुव्वं व वत्तव्यं । एवं संखेज्जासंखेज्जाणतेसु णेयव्यं । गहिदपरूवणा गदा ।
अवहारकाल का जगप्रतरमें भाग देने पर नारक मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है। उदाहरण- ४२९४९६७२९६२ ४२९४९६७२९६४३२७६८
= १३१०७२ सा. ना. मि. इस भागद्वारके जितने अर्धच्छेद हों उतनीवार उक्त भज्यमान राशिके अर्धच्छेद करने पर भी नारक मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है।
उदाहरण-उक्त भागहारके ३२ + १५ = ४७ अर्धच्छेद हैं, अतः इतनीवार उक्त भज्यमान राशिके अर्धच्छेद करने पर १३१०७२ प्रमाण नारक मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है।
यहां पर अर्धच्छेदोंके मिलानेकी विधिका पहलेके समान कथन करना चाहिये। इसीप्रकार संख्यात, असंख्यात और अनन्त स्थानों में ले जाना चाहिये । इसप्रकार अष्टरूप प्ररूपणा समाप्त हुई।
__अब घनाघनमें गृहीत उपरिम विकल्प बतलाते है- जगप्रतरके उपरिम वर्गको अवहारकालसे गुणित करके जो लब्ध आवे उसका घनलोकके उपरिम वर्गमें भाग देने पर नारक मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है, क्योंकि, जगप्रतरके उपरिम वर्गका घनलोकके उपरिम वर्गमें भाग देने पर जगप्रतरका प्रमाण आता है । पुनः अवहारकालका जगप्रतरमें भाग देने पर नारक मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है। उदाहरण
४२९४९६७२९६२३२७ - १३१०७२ सा. ना. मि. उक्त भागहारके जितने अर्धच्छेद हो उतनीवार उक्त भज्यमान राशिके अर्धच्छेद करने पर भी नारक मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है।
उदाहरण-उक्त भागहारके ७९ अर्धच्छेद होते हैं, अतः इतनीवार उक्त भज्यमान राशिके अर्धच्छेद करने पर १३१०७२ प्रमाण नारक मिथ्यादृष्टि जीवराशि आती है।।
____ यहां पर अर्धच्छेदोंके मिलानेकी विधिका पहलेके समान कथन करना चाहिये। इसीप्रकार संख्यात, असंख्यात और अनन्तस्थानों में भी ले जाना चाहिये। इसप्रकार गृहीत उपरिम विकल्प प्ररूपणा समाप्त हुई।
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