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१३६ ] छक्खंडागमे जीवट्ठाणं
[१, २, १७. असंखेज्जाणि सूचिअंगुलपढमवग्गमूलाणि आगच्छंति त्ति ण संदेहो । कारणं गई । णिरुत्तिं वत्तइस्सामो । अंगुलविदियवग्गमूलेण पढमवग्गमूले भागे हिदे भागलद्धम्हि जत्तियाणि रूवाणि तत्तियाणि पढमवग्गमूलाणि घेत्तूण विक्खंभसूई हवदि । अधवा विदियवग्गमूलस्स जत्तियाणि रूवाणि तत्तिएहि पढमवग्गमूलेहि विक्खं भसूची होदि त्ति वत्तव्वं । णिरुत्ती गदा।
वियप्पो दुविहो हेडिमवियप्पो उवरिमवियप्पो चेदि। तत्थ वेरूवे हेट्ठिमवियप्पं वत्तइस्सामो । सूचिअंगुलविदियवग्गमूलेण सूचिअंगुलपढमवग्गमूलमोवट्टिय लद्धेण पढमवग्गमूले गुणिदे विक्खंभसूई हवदि । अधवा विदियवग्गमलेण पढमवग्गमूले गुणिदे
आवे उससे सूच्यगुलके भाजित करने पर सूच्यंगुलके असंख्यात प्रथम वर्गमूल लब्ध आते हैं, इसमें संदेह नहीं है । इसप्रकार कारणका वर्णन समाप्त हुआ।
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उदाहरण–२ = २, २४२ = २ सूच्यंगुलके असंख्यात प्रथम वर्गमूल प्रमाण
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विष्कंभसूची।
अब निरुक्तिका कथन करते हैं- सूच्यंगुलके द्वितीय वर्गमूलसे प्रथम वर्गमूलके भाजित करने पर भागमें जितनी संख्या लब्ध आवे उतने प्रथम वर्गमूल ग्रहण करके विष्कंभ. सूची उत्पन्न होती है। अथवा, द्वितीय वर्गमूलका जितना प्रमाण है उतने प्रथम वर्गमूलोंसे (द्वितीय वर्गमूल प्रमाण प्रथम वर्गमूलोंको जोड़ देने पर) विष्कंभसूची होती है । इसप्रकार निरुक्तिका वर्णन समाप्त हुआ।
३३ द्वितीय वर्गमूल प्रमाण प्रथम वर्गमूलोंका जोड़, द्वितीय उदाहरण-२४२ = २ वर्गमूलसे प्रथम वर्गमूलको गुणाकर देने पर जितना होता
है, उतना ही आता है। विकल्प दो प्रकारका है, अधस्तन विकल्प और उपरिम विकल्प । उनमें पहले द्विरूपधारामें अधस्तन विकल्प बतलाते हैं-- सूच्यंगुलके द्वितीय वर्गमूलसे सूच्यंगुलके प्रथम वर्गमूलको अपवर्तित करके जो लब्ध आवे उससे सूच्यंगुलके प्रथम वर्गमूलके गुणित करने पर विष्कभसूचीका प्रमाण होता है। अथवा, सूच्यंगुलके द्वितीय वर्गमूलसे प्रथम वर्गमूलके गुणित करने पर विष्कंभसूचीका प्रमाण होता है।
२४२ %3D२वि. अथवा, २४२-२वि.
उदाहरण
عالم الصراع م
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